
World Alzheimers Day: वर्ल्ड अल्जाइमर डे 21 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच अल्जाइर संबंधी अवेयरनेस फैलाना है। अल्जाइमर का नाम सुनते ही ऐसी बीमारी याद आती है, जो अधिक उम्र या बुढ़ापे में होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ बूढ़ों नहीं बल्कि बच्चों को भी अल्जाइमर की समस्या हो सकती है। हालांकि ये दुर्लभ है लेकिन ऐसा संभव है। जानिए बच्चों को अल्जाइमर होने के क्या लक्षण हैं।
बचपन का डिमेंशिया न्यूरोनल सेरॉइड लिपोफ्यूसिनोसिस (एनसीएल) नामक कंडीशन के कारण होता है। वहीं जब बच्चे को न्यूरोनल सेरॉइड लिपोफ्यूसिनोसिस होता है तो बॉडी में लिपिड और प्रोटीन जमा होने लगते हैं। इस कारण से बच्चों की क्षमता कम हो जाती है। बच्चों में अल्जाइमर की समस्या अनुवांशिक कारणों से होती है। जब माता पिता दोनों ही रोग के वाहक होते हैं तो ऐसी स्थिति में बच्चेको अल्जाइमर होने का खतरा अधिक हो जाता है। प्रभावित बच्चे की कोशिकाओं में वसा, कोलेस्ट्रॉल या शुगर जमा होने लगती है और मस्तिष्क के साथ ही अंगों के का करने की क्षमता कम हो जाती है।
और पढ़ें: अनुलोम विलोम Vs कपालभाती? कौनसा बेस्ट प्राणायाम एंड इनके क्या अलग फायदे?
बच्चों में अल्जाइमर की स्थिति का निदान होने में ज्यादा समय लग सकता है। ये बीमारी बेहद दुर्लभ होती है, जिसे डायग्नोज होने में वर्षों लग जाते हैं। माता पिता बीमारी के लक्षणों को समझ नहीं पाते हैं।
कुछ समय पहले तक जिन बच्चों में एनपीसी या एमपीएस III होने का संदेह होता है, उन्हें बायोप्सी की जरूरत होती थी। अब रक्त परीक्षण से बच्चों में अल्जाइमर की बीमारी डायग्नोज की जाती है।
बचपन में होने वाले अल्जाइमर का कोई इलाज नहीं है। अगर बच्चे में किसी तरीके के लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर उनका इलाज करते हैं। जैसे कि खाना खाने में समस्या, संतुलन में समस्या, मांसपेशियों में कमजोरी आदि के लिए स्पीच थेरेपिस्ट से लगाकर अन्य उपायों की मदद ली जाती है।
और पढ़ें: Women Health: हर महिला को अपने शरीर के बारे में जानना चाहिए ये 6 बातें