Difference between Anulom Vilom and Kapalbhati: अनुलोम विलोम और कपालभाती, जिन्हें अक्सर एक जैसा समझ लिया जाता है। लेकिन दोनों की टेक्निक, असर और फायदे अलग हैं। आइए जानते हैं कि कौन-सा प्राणायाम कब करना बेहतर है।
भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस, मोटापा, हार्मोनल इंबैलेंस और सांस से जुड़ी दिक्कतें आम हो गई हैं। दवाइयों पर निर्भर रहने के बजाय अगर हम योग और प्राणायाम को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लें तो शरीर और मन दोनों को नैचुरल तरीके से हेल्दी रखा जा सकता है। प्राणायाम में सबसे ज्यादा अनुलोम विलोम और कपालभाती चर्चा में रहते हैं। दोनों देखने में भले ही एक जैसे लगें, लेकिन इनके फायदे और असर पूरी तरह अलग हैं। आखिर अनुलोम विलोम और कपालभाती में से कौनसा बेस्ट है? इन्हें करने का सही तरीका क्या है और किन हेल्थ इश्यूज में कौनसा ज्यादा असरदार है?
अनुलोम-विलोम प्राणायाम क्या है?
अनुलोम विलोम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है। इसमें बारी-बारी से एक नाक से सांस लेना और दूसरी से छोड़ना शामिल होता है। इसे करने के लिए सबसे पहले आरामदायक मुद्रा में बैठें। दाहिने हाथ से नाक को पकड़ें और अंगूठे से दाईं नासिका बंद करें। फिर बाईं नासिका से सांस अंदर लें। अब अनामिका से बाईं नासिका बंद कर दाईं से सांस बाहर छोड़ें। इसी तरह बारी-बारी से प्रक्रिया दोहराएं।
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अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे
- नर्वस सिस्टम को शांत करता है। ये तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन में मददगार है।
- हार्मोन बैलेंस में जैसे थायरॉइड और हॉर्मोनल असंतुलन में असरदार है।
- ये फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है। अस्थमा और सांस संबंधी रोगों में फायदेमंद है।
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है। हाई BP और हार्ट रोगियों के लिए उपयोगी है।
- माइंडफुलनेस बढ़ाता है। साथ में मानसिक एकाग्रता और नींद में सुधार लाता है।
कपालभाती प्राणायाम क्या है?
कपालभाती को योग की शुद्धिकरण क्रिया कहा जाता है। इसमें सांस छोड़ने (exhalation) पर ज्यादा जोर होता है। इसे करने के लिए सबसे पहले सीधी रीढ़ के साथ आराम से बैठें। फिर गहरी सांस अंदर लें और नाभि की ओर खींचते हुए तेजी से सांस बाहर छोड़ें। फिर सांस छोड़ते वक्त पेट को अंदर की ओर धकेलें। यह क्रिया लगातार 20–30 बार करें, फिर सामान्य सांस लें।
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कपालभाती प्राणायाम के फायदे
- डिटॉक्सिफिकेशन करता है। फेफड़ों और श्वसन तंत्र से टॉक्सिन बाहर निकालता है।
- वजन घटाने में मददगार है। फैट बर्निंग और मेटाबॉलिज्म को एक्टिव करता है।
- डायबिटीज और PCOS कंट्रोल कर पैनक्रियाज और हॉर्मोनल हेल्थ को सपोर्ट करता है।
- पाचन को सुधारकर कब्ज और गैस की समस्या में राहत देता है।
- माइग्रेन और साइनस में आराम देता है। चेहरे और सिर की नसों में ब्लड फ्लो बढ़ाता है।
कपालभाती और अनुलोम विलोम में प्राणायाम कौनसा बेस्ट?
अगर आप तनाव, नींद की दिक्कत या हार्मोनल असंतुलन से जूझ रहे हैं तो अनुलोम विलोम आपके लिए बेहतर है। लेकिन अगर आप वजन घटाना, पेट की समस्या या डायबिटीज कंट्रोल करना चाहते हैं तो कपालभाती ज्यादा असरदार है। दोनों को मिलाकर करना सबसे लाभकारी है आप पहले कपालभाती (5–10 मिनट) और फिर अनुलोम विलोम (10–15 मिनट) करें। अनुलोम विलोम मन और नर्वस सिस्टम को शांत करता है, जबकि कपालभाती शरीर को डिटॉक्स और एनर्जी से भर देता है। दोनों प्राणायाम एक-दूसरे को कंप्लीमेंट करते हैं।
