रेयर बीमारी से हुई 15 महीने की बेटी की मौत, कपल उसे हमेशा पास रखने के लिए किया ये काम

Published : Jan 19, 2024, 11:15 AM IST
TBCD Disease

सार

किसी भी माता-पिता के लिए यह बेहद ही कठिन होता है जब उसके सामने उसका नन्हा बच्चा दम तोड़ दे। ऐसा ही कुछ हुआ अमेरिका के इदोहा में रहने वाले एक कपल के साथ जिसने 15 महीने की बच्ची को खो दिया।

हेल्थ डेस्क. एक मां पर तब दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है जब वो अपनी आंखों के सामने अपने बच्चे की सांसों की डोर टूटती देखती है। वहीं एक पिता से बदनसीब कोई नहीं होता जब उसे अपने बच्चे के अर्थी का कंधा देना पड़े। अमेरिका के इदाहो में रहने वाली कायली और जेक मैसी को ऐसे ही सिचुएशन से गुजरना पड़ा। अस्पताल में उसकी 15 महीने की बेटी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी लेकिन माता-पिता होने के नाते ये कुछ नहीं कर पा रहे थे। वो बची नहीं, लेकिन उसकी यादों को संजो के रखने के लिए उन्होंने एक बेहतरीन काम किया।

कायली और जेक मैसी के एक प्यारी सी बेटी पॉपी थी। जब वो पैदा हुई तो सबकुछ नॉर्मल था। लेकिन जब वो चौथे महीने में पहुंची तो पैरेंट्स को महसूस हुआ कि उसकी बेटी की आंखों में कुछ दिक्कत है। वो डॉक्टर के पास गए। लेकिन कुछ भी पता नहीं चल रहा था। फिर उसके ब्रेन की एमआईआर कराई गई। वो तब 5 महीने की थी। तब उन्हें पता चला कि ब्रेन का मीडिल हिस्सा कॉर्पस कैलोसम बिल्कुल भी विकसित नहीं हुआ है। उसके बाद उसका डायग्नोसिस लगातार होता रहा। बाद में पता चला कि उनसे जेनेटिक डिसऑर्डर TBCD है। पॉपी उस वक्त दुनिया की 38वीं ऐसी बच्ची थी जिसमें यह दिक्कत पाई गई।

जेनेटिर मामलों के एक्सपर्ट भी हो गए फेल

कायली बताती हैं कि जेनेटिर मामलों के एक्सपर्ट डॉक्टरों ने भी इसके बारे में पहले कभी नहीं सुना था। हमें एहसास हुआ कि इस रोग का इलाज आसान नहीं है। हम वास्तव में अनुभवहीन थे। उन्होंने अपनी बेटी को बचाने की पूरी कोशिश की। मृत्यु से पहले पॉपी को श्वसन संक्रमण हो गया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने कपल को बताया कि पॉपी को फेफड़ों का निमोनिया है। इसके बाद उसे आईसीयू में एडमिट किया गया। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

घर में कलश लाने से बचना चाहते थे

कायली बताती है कि जब वो अंत्येष्टि गृह में बैठे थे। हमें यह तय करने के लिए एक कैटलॉग दिया कि बेटी के साथ क्या करना है। कैटलॉग के पन्नों को पलटना और उसमें भी कलश चुनना बहुत दर्दनाक था। सच पूछिए तो हम दाह-संस्कार चाहते थे क्योंकि बेटी की अंतिम निशानी यानी राख हमारे घर आ सके। हालांकि घर पर दो छोटे बच्चे होने के कारण वो ऐसी कोई चीज नहीं चाहते थे जिससे हमारे दोनों बच्चे डरें, टूटने का डर हो। हमें लगा कि एक कलश की हमारे घर में मौजूद तो हो सकता है। लेकिन क्या वो उनके दो और बच्चों के लिए सही रहेगा। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था हम बस कैटलॉग पलट रहे थे। तभी हमारी नजर उसमें बने सुंदर पत्थरों की यह तस्वीर पर पड़ी। हमने अपनी बेटी के राख के स्टोन बनाने का निर्णय लिया।

सुंदर-सुंदर पत्थरों का मिला उपहार

हमने वह चुना जो सबसे कम खराब था। हमने अपने दूसरे दो बच्चों रोजी और पीटर को पहले स्थान पर रखने की कोशिश की।कुछ महीनों बाद हमें हैंड रिटेन नोट के साथ सुंदर बॉक्स मिला। उसमें हमारी बेटी के राख से बनी सुंदर-सुंदर पत्थर थे। सफेद रंग वाले पत्थरों में पीले रंग के छोटे-छोटे छींटे थे। हमने उसे संभाल कर रखा है। वे खास उपहार की तरह महसूस होते हैं।

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