जिद करना ज्यादातर बच्चों की आदत होती है। अक्सर पेरेंट्स अपने बच्चों की जिद करने की आदत से काफी परेशान रहते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क। जिद करना ज्यादातर बच्चों की आदत होती है। अक्सर पेरेंट्स अपने बच्चों की जिद करने की आदत से काफी परेशान रहते हैं। बच्चे कुछ ऐसी चीजों के लिए जिद करने लगते हैं, जिन्हें पूरा कर पाना संभव नहीं होता। जब जिद करने पर भी बच्चे की मांग पूरी नहीं होती, तो वे रोने-धोने लगते हैं और आसमान सिर पर उठा लेते हैं। ऐसे में, पेरेंट्स भी गुस्से में आकर डांटने-डपटने के साथ बच्चों की पिटाई भी कर देते हैं। लेकिन इसका असर ठीक नहीं होता है। बच्चों की जिद करने की आदत के पीछे कई कारण होते हैं। जानें कुछ टिप्स जिनके जरिए आपको बच्चों की जिद पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
1. प्यार से समझाएं
बच्चे अगर जिद कर के आपको काफी परेशान कर देते हैं, तो धैर्य मत खोएं। कभी भी गुस्से में आकर बच्चों को डांटें-डपटें नहीं और ना ही उनकी पिटाई करें। इसका उनके मन पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। मार-पीट करने से बच्चे और भी जिद्दी हो जाते हैं और पेरेंट्स से डरने लगते हैं। वे उनसे दूरी बना कर रहने लगते हैं। इसलिए बच्चे को समझाएं। अगर बच्चा नहीं समझता है तो उसे कुछ देर के लिए छोड़ दें। इससे बच्चे अपनी जिद वाली बात भूल जाते हैं।
2. उनका ध्यान दूसरी तरफ करें
अगर बच्चा किसी बात को लकर जिद कर रहा हो, तो उसका ध्यान बदलने की कोशिश करें। उससे किसी दूसरी चीज के बारे में बात करना शुरू कर दें। अक्सर छोटे बच्चे बाजार जाने पर कोई चीज लेने के लिए जिद करने लगते हैं। ऐसे में, उनका ध्यान भटकाने से वे जिद छोड़ देते हैं।
3. बच्चे से सवाल करें
अगर बच्चा किसी बात को लेकर जिद पर अड़ गया हो तो गुस्से में आने की जगह उससे सवाल करें कि उसकी मांग कितना जायज है और क्या उसे पूरा कर पाना संभव है। इससे बच्चा सोचने के लिए मजबूर हो जाएगा। जब वह सोचने लगेगा तो उसमें रीजनिंग की क्षमता बढ़ेगी और वह भले-बुरे में अंतर कर सकेगा। इससे उसमें खुद निर्णय लेने की क्षमता का भी विकास होगा।
4. पॉजिटव रिएक्शन दें
बच्चा चाहे जितनी भी जिद करे, गुस्से में आने की जगह उसकी बातों पर पॉजिटिव रिएक्शन दें। उसकी बातों का हंस कर जवाब दें और उसे समझाने की कोशिश करें। अगर आप गुस्से में नहीं आएंगे तो कुछ समय के बाद बच्चा अपनी जिद छोड़ देगा और आगे भी ऐसा कम ही करेगा।
5. बच्चों के साथ दोस्ताना संबंध रखें
बच्चों को अनुशासन सिखाना और उसका पालन करने के लिए कहना ठीक है, लेकिन उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखें। इसे बच्चे का आप पर भरोसा बना रहता है। अगर आप बच्चे के साथ बेहतर कनेक्शन बनाए रखेंगे और और उसका आप पर भरोसा रहेगा तो शायद ही किसी बात के लिए वह जिद करे। बच्चे के साथ पेरेंट्स अगर दोस्ताना संबंध रखते हैं, तो उनमें सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ता है।