कन्यापूजन किए बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है। महाअष्टमी या नवमी को व्रतधारी कन्यापूजन करके अपने व्रत को खोलते हैं। इस दिन 3 साल से लेकर 9 साल के देवी स्वरूप कन्याओं को घर पर बुलाया जाता है और उन्हें चुनरी देकर पूरी, हलवा और चना का भोग लगाते हैं।