दो युवाओं का यूनिक कॉन्सेप्ट 'चाय पियो, कप खा जाओ' (Drink Tea And Eat Cup) इन दिनों शहडोल के सोशल मीडिया में भी ट्रेंड कर रहा है। सोशल मीडिया में देखकर लोग दुकान को ढूंढ कर पहुंच रहे हैं। चाय के साथ कप खाने वाली इस स्पेशल चाय की कीमत 20 रुपए है। इसे वेफर्स कप भी कहा जाता है। इससे कचरा भी नहीं होता।
शहडोल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहडोल (Shahdol) में इन दिनों अल्हड़ कुल्हड़ चाय (Alhad Kulhad Tea shop) की खूब चर्चा है। खास बात ये है कि यहां शॉप में चाय पीने के बाद ग्राहक कप कुल्हड़ भी खा जाते हैं। 10 दिन पहले दो युवकों ने मिलकर ये स्टार्टअप शुरू किया है और उनका अनोखा कॉन्सेप्ट खूब चर्चित हो रहा है। चाय के साथ कप को खाना सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगता है, लेकिन ये सच है। ये कप बिस्किट वेफर्स (Biscuit Wafers) से बने हैं और चाय पीने के बाद लोग इन कप को खा जाते हैं। आइए जानते हैं इन कप के बारे में....
शहडोल शहर में मॉडल रोड पर सड़क किनारे एक चाय की दुकान लगाई गई है। ये इनदिनों पूरे शहर और इलाके में सुर्खियों में है। शहडोल में रहने वाले एक साथ पढ़े दो युवा रिंकू अरोरा और पीयूष कुशवाहा ने एक नया स्टार्टअप (Tea Startup) शुरू किया है।
ये दोनों लोग ग्राहकों को बिस्किट वेफर के बने कप में स्पेशल चाय देते हैं। चाय पीने के बाद लोग उस कप को भी खा जाते हैं। चाय के साथ कप खाने वाली इस स्पेशल चाय की कीमत 20 रुपए है। इसे वेफर्स कप भी कहा जाता है। इससे कचरा भी नहीं होता।
ये नया कॉन्सेप्ट है जो लोगों को पसंद भी आ रहा है। दो युवाओं का यूनिक कॉन्सेप्ट 'चाय पियो, कप खा जाओ' (Drink Tea And Eat Cup) इन दिनों शहडोल के सोशल मीडिया में भी ट्रेंड कर रहा है। सोशल मीडिया में देखकर लोग दुकान को ढूंढ कर पहुंच रहे हैं।
चाय पीने के लिए आए राम नारायण तिवारी ने बताया कि आमतौर पर लोग चाय पीने के बाद डिस्पोजल फेंक देते हैं, उससे कचरा फैलता है। प्रदूषण बढ़ता है। लेकिन, इस वेफर्स कॉन्सेप्ट से ना तो कचरा फैलेगा और ना ही प्रदूषण फैलेगा। लोग चाय पीकर कप खा जाते हैं।
स्टार्टअप शुरू करने वाले रिंकू अरोरा और पीयूष कुशवाहा ने बताया कि चाय का फ्लेवर वे खुद बनाते हैं। इस वजह से हमारी चाय खास है। लोगों का रिस्पॉन्स बहुत अच्छा मिल रहा है। लोग परिवार समेत आकर ये चाय पी रहे हैं। रिंकू ने बताया कि ये कुल्हड़ बिसकिट्स से बनाई गई है। इससे किसी को भी हानि नही पहुंचेगी और ना ही इससे प्रदूषण फैलेगा। उसने ये कॉन्सेप्ट पहले पुणे में देखा था और मन में आया कि अब अपने शहर में भी इसकी शुरुआत की जाए।