Covid 19 : लोकल ट्रेन में नॉन वैक्सीनेटेड लोग सफर कर सकेंगे या नहीं, मुंबई HC ने केंद्र से पूछा नेश्नल प्लान

महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई की लोकल ट्रेनों में नॉन वैक्सीनेटेड लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि टीकाकरण की स्थिति के आधार पर आप लोगों में अंतर नहीं कर सकते। उन्हें सेवाओं के लाभ से वंचित नहीं कर सकते। 

मुंबई। कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मरीजों के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से सार्वजनिक परिवहन को लेकर उसका प्लान पूछा। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार के पास आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत ऐसी कोई योजना है जिसमें सार्वजनिक परिवहन के दौरान वैक्सीनेटेड और नॉन वैक्सीनेटेड (Vaccination) लोगों के बीच अंतर पता किया जा सके। चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ महाराष्ट्र सरकार की उस पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बिना वैक्सीन लगे लोगों को लोकल ट्रेनों से यात्रा करने और अन्य सेवाओं का लाभ लेने की अनुमति नहीं है।  

महाराष्ट्र सरकार ने कहा- परिवहन को लेकर कोई राष्ट्रीय योजना नहीं बनी 
महाराष्ट्र सरकार के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल अंतूरकर ने कोर्ट को बताया कि उन्हें केंद्र की ऐसी किसी राष्ट्रीय योजना की जानकारी नहीं है। इस पर बेंच ने केंद्र से कहा कि वह इस पर अपना रुख स्पष्ट करे कि क्या उसने Covid 19 से निपटने के लिए देश भर में लागू करने के लिए ऐसी कोई योजना बनाई है।  

याचिकाकर्ता के वकील ने दिया केंद्र के हलफनामे का हवाला
याचिकाकर्ता के वकील नीलेश ओझा ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दिया था, जिसमें कहा गया है कि टीकाकरण की स्थिति के आधार पर व्यक्तियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसलिए, टीका लगवा चुके लोगों और बिना टीका लगवाए हुए लोगों के बीच अंतर करना अवैध, मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है। ओझा ने कहा कि इस आधार पर हाईकोर्ट ऐसे निर्णयों में हस्तक्षेप कर सकता है, जो स्वास्थ्य संबंधी नीति से संबंधित हैं। 

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सरकार के वकील ने कहा- महामारी के बीच एहतियात जरूरी
ओझा के इस जवाब पर राज्य सरकार के वकील अंतुरकर ने कहा कि महामारी के दौरान मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध उचित है, क्योंकि यह एक एहतियाती उपाय है। आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 11 का हवाला देते हुए अंतूरकर ने बताया कि केंद्रीय कार्यकारी समिति द्वारा एक राष्ट्रीय योजना तैयार की जानी चाहिए, और इसकी सालाना समीक्षा करते हुए इसे अपडेट किया जाना चाहिए। अंतूरकर ने कहा कि वह ऐसी किसी भी योजना से अनभिज्ञ थे जहां केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए वैक्सीनेटेड और नॉन वैक्सीनेटेड लोगों में अंतर नहीं किया जा सकता है। अंतूरकर ने कहा- यदि केंद्र सरकार ने महामारी के दौरान सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को नियंत्रित करने वाली ऐसी योजना
तैयार की है, तो राज्य इसे अपनाएगा। 

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