येदियुरप्पा का इस्तीफाः बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक या कर्नाटक कांग्रेस को गोल्डन चांस

लिंगायत संत कर्नाटक में बीजेपी के खिलाफ एकजुट हैं। वह येदियुरप्पा को हटाने का लगातार विरोध करने के साथ चेतावनी दे चुके हैं। लिंगायत संतों ने साथ कहा था कि बीजेपी को सबक सीखाने के लिए उनको कांग्रेस के साथ जाने में भी कोई हिचक नहीं होगी। 

बेंगलुरू। कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में नए समीकरण उभर सकते हैं। येदियुरप्पा को हटाना बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक है या आत्मघाती निर्णय यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा लेकिन बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेगी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कर्नाटक की राजनीतिक बिसात पर शहमात के इस खेल में कांग्रेस का रूख क्या होगा, यह भी महत्वपूर्ण हो सकता है।  

‘थ्री बी’ के साथ ‘अहिंडा’ का महाजोड़ कहीं कमजोर न पड़ जाए

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भारतीय जनता पार्टी को कर्नाटक में थ्री बी यानी ब्राह्मण, बनिया और बिलवा जाति का समर्थन हासिल था। सोशल इंजीनियरिंग के तहत येदियुरप्पा की रणनीति पर काम करते हुए बीजेपी ने यहां अहिंडा यानी दलितों, पिछडे़ वर्ग और अल्पसंख्यों का भी समर्थन हासिल कर लिया था। 

जानकार मानते हैं कि येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद यह सामाजिक तानाबाना बिखर सकता है। आशंका जताई जा रही है कि कुछ वर्ग अपनी मूल पार्टी में वापस जा सकता है। ऐसे में भाजपा को काफी सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। और अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा लाभ भले ही कांग्रेस को मिले न मिले लेकिन बीजेपी अपनी पूर्व की स्थिति पर आ सकती है। यानी उसकी सीटों में काफी कमी हो सकती है। 

लिंगायत संत पहले ही येदियुरप्पा के लिए खोल चुके हैं मोर्चा

लिंगायत संत कर्नाटक में बीजेपी के खिलाफ एकजुट हैं। वह येदियुरप्पा को हटाने का लगातार विरोध करने के साथ चेतावनी दे चुके हैं। लिंगायत संतों ने साथ कहा था कि बीजेपी को सबक सीखाने के लिए उनको कांग्रेस के साथ जाने में भी कोई हिचक नहीं होगी। 

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के अध्यापक व राजनीतिक विश्लेषक डॉ.चंदन गौड़ा का मानना है कि लिंगायत समाज को पहले किसी भी नेता ने इस तरह एकजुट नहीं किया होगा जितना येदियुरप्पा ने किया है। जेएच पटेल मुख्यमंत्री तो रहे लेकिन लिंगायत नेता नहीं माने गए। उनका मानना है कि येदियुरप्पा ने कर्नाटक में बीजेपी को नया अवतार दिया है। लेकिन स्थितियां जिस तरह बन रही है, उससे साफ है कि राजनीतिक समीकरण में बड़े पैमाने पर बदलाव होने जा रहा। इसका फायदा कांग्रेस को भी हो सकता या कुछ और बिसात बिछ सकती। 

येदियुरप्पा कैबिनेट के 12 मंत्री ऐसे जिनका भविष्य तय नहीं

येदियुरप्पा कैबिनेट में 12 से अधिक मंत्री हैं जो कांग्रेस या जेडीएस के हैं। ये येदियुरप्पा की वजह से बीजेपी में आए थे। लेकिन अब येदियुरप्पा जब सरकार में नहीं हैं तो इन मंत्रियों का भी भविष्य अभी तय नहीं है। संभव है कि इनमें से कुछ अपनी मूल पार्टी में वापस चले जाएं, ऐसे में यह विपक्ष को फायदा देने वाला और सत्तापक्ष को झटका भी हो सकता है। 
प्रो.चंदन गौड़ा मानते हैं कि कांग्रेस के लिए कर्नाटक में यह सुनहरा मौका हो सकता है। वह इसे किस तरह हैंडल करती है, उसकी रणनीति और नजरिए से तय होगा। 

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