कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पर बैन के मामले में HC में सुनवाई, कोर्ट ने कही खरी बात-'हम कानून से चलेंगे'

कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की NO ENTRY के मामले में आज से हाईकोर्ट(High Court) में सुनवाई शुरू हुई। इस बीच मध्य प्रदेश सरकार भी स्कूलों में हिजाब पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है। मप्र के स्कूल शिक्षा मंत्री मंत्री इंदर सिंह परमार ने इसके संकेत दिए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2022 2:16 AM IST / Updated: Feb 08 2022, 03:29 PM IST

कर्नाटक/ मध्य प्रदेश. कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश के स्कूलों में भी हिजाब पर बैन लगाने की तैयारी होने लगी है। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (MP School Education Minister Inder Singh Parmar) ने एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हिजाब को पूरी तरह से बैन किया जाएगा।  सरकार अनुशासन को प्राथमिकता देगी। सभी स्कूल में ड्रेस कोड लागू किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग इस पर काम कर रहा है।आगामी सत्र के लिए जल्द विभाग गाइडलाइन जारी करेगा। अगले साल से ड्रेस कोड लागू किया जा सकता है।

कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई

 कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की NO ENTRY के मामले में आज से हाईकोर्ट(High Court) में सुनवाई शुरू हुई। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया वो भावनाओं से नहीं, कानून के हिसाब से चलेगा। हाई कोर्ट के जज कृष्णा दीक्षित ने मामले की सुनवाई शुरू की। लेकिन याचिकाकर्ता ने मामले की सुनवाई को स्थगित करने की मांग कर दी। उसने तर्क दिया कि इसी संबंध में एक और याचिका दायर की गई है। इसलिए जब तक सभी दस्तावेज न जाएं, सुनवाई रोक दी जाए। इस पर जज ने कहा कि इस मामले में जो भी फैसला आएगा, वो इससे जुड़े दूसरे मामलों पर भी लागू होगा। बेंच ने सुनवाई से पहले कुरान की एक प्रति मांगी। जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि यह कुरान की प्रामाणिक प्रति है, इस पर तो कोई विवाद नहीं है? कुरान की कॉपी बैंगलोर के शांतिप्रकाश पब्लिशर्स ने प्रकाशित की है। एडवोकेट जनरल ने कहा कि कुरान के कई अनुवाद हैं।

इस बीच मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने जूनियर कॉलेज के छात्रों से मामला खत्म होने तक यूनिफॉर्म को लेकर सरकार की तरफ से जारी नियमों का पालन करने के लिए कहा है। उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील भी की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद सरकार आगे का कोई कदम उठाएगी। बता दें कि जनवरी में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में हिजाब पहनकर पहुंचीं 6 छात्राओं को अंदर जाने से रोक दिया गया था। इसके बाद से यह मामला तूल पकड़ा हुआ है। इनमें से एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था।

यूनिफॉर्म तय करने का काम कॉलेजों का
हाईकोर्ट ने दो टूक कहा कि उनके लिए संविधान ही भगवत गीता है। एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट को बताया कि यूनिफॉर्म तय करने का काम कॉलेजों का है। जिन छात्राओं को इसमें रियायत चाहिए, वे कॉलेज डेवलमेंट कमेटी के पास जा सकती हैं। 

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कर्नाटक सरकार के मंत्री ने कहा था-दूसरा विकल्प खोज लें
कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की NO ENTRY का मामला गर्माता जा रहा है। सरकार ने दो टूक कह दिया है कि ड्रेस कोड लागू होगा। ड्रेस कोड का पालन नहीं करने वालीं छात्राओं के लिए दूसरे विकल्प खुले हैं। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) ने कहा है कि छात्राएं राजनीति दलों के लिए 'टूल' न बनें। स्कूल कैम्पस में दाखिल होने पर उन्हें अपना हिजाब बैग में रखना होगा।

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सरकार ने जारी किया है सर्कुलर
कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार ने शनिवार को प्रदेशभर के शैक्षणिक संस्थानों में शांति, सद्भाव और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है। बीसी नागेश ने बताया कि इसमें साफ कहा गया है कि स्कूल कैम्पस में हिजाब पहनकर आने की परमिशन नहीं होगी।

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ऐसे शुरू हुआ विवाद
कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वालीं लड़कियों को कॉलेज में एंट्री नहीं दी जा रही है। वहीं, हिजाब के जवाब में हिंदू लड़कियां केसरिया दुपट्टा पहनकर आने लगी हैं। विवाद की शुरुआत उडुपी के एक कॉलेज से हुई थी, जहां जनवरी में हिजाब पर बैन लगा दिया था। इस मामले के बाद उडुपी के ही भंडारकर कॉलेज में भी ऐसा ही किया गया। अब यह बैन शिवमोगा जिले के भद्रवती कॉलेज से लेकर तमाम कॉलेज तक फैल गया है। इस मामले को लेकर रेशम फारूक नाम की एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि हिजाब पहनने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन है। गुरुवार को भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कॉलेज के प्रिंसिपल ने अंदर नहीं आने दिया था। उनका तर्क था कि शासन के आदेश व कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आना होगा। जबकि छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब पहनकर ही कॉलेज आती रही हैं।

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