NCPCR ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को लेकर कही ये चौंकाने वाली बातें, एजुकेशनल मॉडल को फेल बताया

 कुछ समय पहले एक अमेरिका अखबार ने AAP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल की तारीफ में लंबा-चौड़ा आर्टिकल पब्लिश किया था। अब इसके उलट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग-NCPCR)  ने एक रिपोर्ट पेश की है।

नई दिल्ली. कुछ समय पहले एक अमेरिका अखबार ने AAP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल की तारीफ में लंबा-चौड़ा आर्टिकल पब्लिश किया था। अब इसके उलट टॉपर चाइल्ड राइट बॉडी नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग-NCPCR)  ने स्कूलों में  बड़ी संख्या में प्रिंसिपल्स की पोस्ट, छात्र से शिक्षक अनुपात अधिक और बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर जैसी कमियों की ओर ध्यान दिलाया है।

NCPCR की रिपोर्ट में सामने आईं तमाम कमियां
 'क्लीन टॉयलेट्स, इंस्पायर्ड टीचर्स: हाउ इंडियाज कैपिटल इज फिक्सिंग इट्स स्कूल्स' टाइटल्स से, न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली सरकार के एजुकेशन सिस्टम की प्रशंसा करते हुए इसे गरीबी के चक्र को तोड़ने की चाहत रखने वाले लाखों परिवारों के लिए जीवन रेखा बताया था। अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दिल्ली सरकार के स्कूलों के संबंध में ये कमेंट्स किए हैं। बच्चों के स्कूलों में सीखने की क्षमताओं(In learning outcomes)  एनसीपीसीआर ने कहा कि दिल्ली ने राष्ट्रीय औसत से नीचे स्कोर किया है। इसका आशय यह है कि लर्निंगआउटकम में क्लास में उम्र के आधार पर बच्चों में लिखने-पढ़ने, समझने और बोलने की क्षमता का विकास किया जाएगा। जिससे बच्चे के आईक्यू लेवल से उसे एजुकेशन दी जा सके। पर दिल्ली के स्कूलों में ऐसा नहीं हो सका।

Latest Videos

 स्कूल से बाहर के बच्चों यानी- Out of school children (OoSC) पर एनसीपीसीआर ने कहा कि वर्ष 2015-16 में  प्राइमरी से अपर प्राइमरी (कक्षा 5 से 6 वीं) में संक्रमण दर 99.86 प्रतिशत थी और प्राइमरी से सेकंडरी (कक्षा 8वीं से 9वीं) में 96.77 प्रतिशत थी। यानी इतने प्रतिशत बच्चों ने स्कूल छोड़ा या वे स्कूल नहीं गए। हालांकि, बाद के वर्षों में दोनों स्तरों के लिए संक्रमण दर में गिरावट आई। वर्ष 2018-19 में दर में वृद्धि हुई लेकिन 2015-16 में संक्रमण दर से अभी भी कम है। इसका मतलब है कि प्राइमरी एजुकेशन पूरी करने वाले सभी बच्चे अपर प्राइमरी में प्रवेश नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, 2016-17 में, दिल्ली के स्कूलों में कक्षा 5 में 39,9916 छात्रों ने दाखिला लिया, अगले साल 2017-18 में, कक्षा 6 में नामांकन 37,0803 था, जिसका अर्थ है कि 30,000 के करीब छात्रों ने अगली कक्षा में प्रवेश नहीं किया।  इसके अलावा, 2018-19 में, कक्षा 7 में नामांकन 36,9484 था, जिसका अर्थ है कि आगे के बच्चे स्कूलों से बाहर हो गए या अगली क्लास में नहीं गए।

छात्र शिक्षक अनुपात पर, एनसीपीसीआर ने कहा कि दिल्ली में बिहार के बाद प्राइमरी लेवल पर दूसरा सबसे अधिक छात्र शिक्षक अनुपात (पीटीआर) (1:33) है। प्रारंभिक स्तर पर, अनुपात (1:31) सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में सबसे अधिक है। पीटीआर में नामांकित बच्चों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की उपलब्धता को दर्शाता है। यानी छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की कमी।

यह भी जानिए
शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर एनसीपीसीआर ने कहा-आरटीई अधिनियम, 2009 की 'अनुसूची' के तहत दिए गए मानदंडों और मानकों के अनुसार, प्राथमिक कक्षाओं के लिए पीटीआर 1:30 और उच्च प्राथमिक स्तर के लिए 1:35 होना चाहिए। उच्च पीटीआर प्रति शिक्षक छात्रों की अधिक संख्या को इंगित करता है जिसका अर्थ है कि छात्रों पर शिक्षक का कम ध्यान केंद्रित होता है, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षण की गुणवत्ता में गिरावट आती है।

प्रिंसिपल्स की नियुक्ति को लेकर
प्रिंसिपल्स की नियुक्ति को लेकर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष के नेतृत्व में एनसीपीसीआर के अधिकारियों की एक टीम ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों का दौरा किया। इसके अलावा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्कूलों के कामकाज के अन्य पहलुओं के संबंध में विसंगतियों पर भी फोकस किया। पाया  गया कि प्रिंसिपल्स के पद / हेड मास्टर के पद रिक्त हैं। इसके अलावा, 2020-21 के लिए UDISE+ डैशबोर्ड पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, शिक्षा विभाग के तहत कुल 1027 स्कूल हैं, जिनमें से केवल 203 स्कूलों में हेडमास्टर / एक्टिंग हेडमास्टर / प्रिंसिपल हैं (नौ स्कूलों में हेडमास्टर हैं, तीन स्कूलों में एक्टिंग हेडमास्टर हैं और 191 स्कूलों में प्रिंसिपल हैं)। आरटीई अधिनियम, 2009 में स्कूलों के लिए मानदंडों और मानकों की रूपरेखा, छठी से आठवीं कक्षा के लिए (जहां बच्चों का प्रवेश सौ से ऊपर है) कहा गया है कि स्कूल में एक फुलटाइम हेड-टीचर होना चाहिए।

एक समस्या यह भी मिली
दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किए गए देश के मेंटर कार्यक्रम(Desh Ke Mentor programme) के संबंध में एनसीपीसीआर में एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इस योजना के तहत बच्चों और अन्य लोगों को शिक्षा और करियर मार्गदर्शन के उद्देश्य से एक साथ लाया जाता है। यह बच्चों को संभावित सुरक्षा और सुरक्षा जोखिमों के लिए उजागर कर सकता है। एनसीपीसीआर ने कहा कि इस कार्यक्रम को शुरू करने से पहले बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता है। 

यह भी पढ़ें
PM मोदी का आक्रोश-'अर्बन नक्सलियों ने सालों सरदार सरोवर बांध का काम रोके रखा, ये लोग अभी भी सक्रिय हैं'
अडानी-अंबानी के कर्मचारी अब एक-दूसरे की कंपनियों में नहीं कर पाएंगे नौकरी, जानें क्या है नो-पोचिंग एग्रीमेंट?

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

झांसी में चीत्कारः हॉस्पिटल में 10 बच्चों की मौत की वजह माचिस की एक तीली
पहली बार सामने आया SDM थप्पड़ कांड का सच, जानें उस दोपहर क्या हुआ था । Naresh Meena । Deoli-Uniara
समाजवादी पार्टी का एक ही सिद्धांत है...सबका साथ और सैफई परिवार का विकास #Shorts
क्या है Arvind Kejriwal का मूड? कांग्रेस के खिलाफ फिर कर दिया एक खेल । Rahul Gandhi
झांसी ने देश को झकझोरा: अस्पताल में भीषण आग, जिंदा जल गए 10 मासूम