इस यूनिक तस्वीर का द्रौपदी मुर्मू से है खास कनेक्शन, एक केंद्रीय मिनिस्टर ने किया है tweet, जानिए पूरा माजरा

यह तस्वीर आदिवासियों के किसी उत्सव या अन्य कार्यक्रम की नहीं है। ये आदिवासी अपने समुदाय से आने वालीं द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) की जीत के लिए प्रार्थना करने जुटे थे। यह तस्वीर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शेयर की थी। पढ़िए पूरी कहानी...

Amitabh Budholiya | Published : Jul 21, 2022 6:06 AM IST / Updated: Jul 21 2022, 11:48 AM IST

नई दिल्ली.ओडिशा का मयूरभंज जिला इन दिनों देश ही नहीं, दुनियाभर की मीडिया की सुर्खियों में हैं। ओडिशा के मयूरभंज जिले का पहाड़पुर गांव झारखंड की सीमा के पास है। लगभग 80 प्रतिशत आबादी आदिवासी है और द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का संथाल समुदाय प्रमुख समूह है। 21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए डाले गए वोटों की गिनती((Presidential Election) से पहले आदिवासी समुदाय ने एकजुट होकर मूर्मू की जीत के लिए प्रार्थना की। ये तस्वीरें केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने tweet कीं। उन्होंने लिखा-आपको और शक्ति मिले द्रौपदी मुर्मू जी। राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम घोषित होने से पहले प्रार्थना करते आदिवासी।

21 जून को अचानक से मीडिया की सुर्खियों में आई थी मुर्मू
देश को 15वां राष्ट्रपति पद (President Election 2022) मिला है। राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए (National Democratic alliance) ने आदिवासी महिला कार्ड खेलते हुए द्रौपदी मुर्मू के नाम का 21 जून को ऐलान किया था। इससे पहले मुर्मू इतनी पॉपुलर नहीं थीं। राजनीति के अलावा बाकी फील्ड के कम लोग ही उन्हें जानते थे। द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को उतारा था। बता दें कि द्रौपदी मुर्मू ने एक सरकारी क्लर्क के रूप में शुरुआत की, और रायरंगपुर में पार्षद बनने से पहले एक स्कूली शिक्षिका थीं। वह दो बार विधायक और मंत्री भी बनीं। उन्हें 2016 में झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। रायरंगपुर के राजनीतिक सहयोगी याद करते हैं कि वह एक पार्षद के रूप में हाथ में छाता लेकर स्वच्छता कार्य की देखरेख करती थीं। एक मंत्री के रूप में भी उन्होंने क्षेत्र के विकास में रुचि ली। 

कठिन रास्तों से गुजरकर निकली हैं मुर्मू
बता दें कि द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में 20 जून, 1958 को हुआ था। वो आदिवासी संथाल परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। द्रौपदी मुर्मू की शादी 1980 में श्याम चरण मुर्मू से हुई। उनके 4 बच्चे (दो बेटे और दो बेटी) हुए, जिनमें से अब सिर्फ एक बेटी ही बची है। मुर्मू के पति के अलावा दो बेटे और एक बेटी अब इस दुनिया में नहीं हैं। शादी के बाद 1981 में द्रौपदी मुर्मू पहली बार मां बनीं और उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। हालांकि, 3 साल की उम्र में ही 1984 में उसकी मौत हो गई। इसके बाद 25 अक्टूबर, 2010 में उनके बड़े बेटे लक्ष्मण की मौत हो गई, वो 25 साल के थे। अपने जवान बेटे की मौत से द्रौपदी पूरी तरह टूट गई थीं। हालांकि, इससे उबरने के लिए वो रायरंगपुर में ब्रह्मकुमारी आश्रम जाने लगीं। इससे उन्हें इस सदमे से उबरने में थोड़ी मदद मिली। पूरी कहानी पढ़ने क्लिक करें

यह तस्वीर गुजरात के सूरत के एक स्कूल की है। यहां द्रौपदी मुर्मू का चित्र हाथ में लेकर दिखे स्टूडेंट्स।

यह भी पढ़ें
द्रौपदी मुर्मु: ओडिशा के आदिवासी गांव से रायसीना हिल तक का कैसे तय किया सफर, गांव में अभी से जश्न शुरू
क्या अब कभी भारत में कोई मुस्लिम राष्ट्रपति या PM नहीं बन पाएगा, क्यों ट्रेंड हुआ Muslim PM?

Read more Articles on
Share this article
click me!