चांद पर 14 दिन रात रहने के बाद 22 सितंबर को जब सूर्य निकलेगा तो यहां फिर से रोशनी होगी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सूरज की रोशनी पड़ने पर लैंडर-रोवर फिर से एक्टिव होंगे।
धरती से 3 लाख 84 हजार किलोमीटर दूर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचने वाले चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के एक बार फिर जागने की उम्मीद है। चांद पर 14 दिनों तक रात रहने के बाद 22 सितंबर को जब सूरज निकलेगा तो यहां एक बार फिर रोशनी पहुंचेगी। ऐसे में वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सूरज की रोशनी पड़ते ही लैंडर-रोवर फिर एक्टिव होंगे। चंद्रयान-3 और फ्यूचर मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से इसरो सेंटर में विस्तार से बातचीत की। इस दौरान वो चीजें निकलकर आईं, जिनके बारे में लोगों को अब तक पता नहीं था।
धरती से 1.2 लाख KM दूर पहुंच चुका है आदित्य L1
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ के मुताबिक, आदित्य L1 ने पृथ्वी की कई कक्षाओं को पार कर लिया है और फिलहाल ये धरती से करीब 1.2 लाख KM दूर है। सूर्य मिशन लैगरेंज प्वाइंट की तरफ बढ़ रहा है। हम आर्बिट डिटर्मिनेशन और डीप स्पेस नेटवर्क से लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
कहां तक पहुंचा भारत का गगनयान मिशन?
गगनयान काफी कठिन प्रोजेक्ट है। हम 4 साल से गगनयान की तैयारी कर रहे हैं और हर तरह के चैलेंजेस का सामना किया है। हमने कई बार रि-इंजीनियरिंग, रि-डिजाइनिंग की है, ताकि सबकुछ अच्छे से हो। लेकिन इसमें सबसे बड़ा चैलेंज क्रू मेंबर्स की सेफ्टी का है, क्योंकि इस मिशन में ह्यूमन बीइंग का इंवाल्वमेंट है। इसके लिए हमने अपनी टीम और सरकार से बात की है। इस मिशन को जल्दबाजी में पूरा करना काफी रिस्की हो सकता है। इसके लिए हमारे पास पर्याप्त समय और पूरा कॉन्फिडेंस चाहिए। हमने अभी तक 100 से ज्यादा टेस्ट किए हैं। हमारा टारगेट है कि अगले 1 साल के भीतर सभी तरह के टेस्ट पूरे कर लिए जाएं। फाइनल मैन मिशन 2025 से पहले पूरा नहीं हो सकता है।