अब मल्लिकार्जुन खड़गे के 'हाथ' कांग्रेस की जिम्मेदारी, सोनिया गांधी बोलीं-उनके सिर से बोझ उतर गया

80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे ऐसे समय में कांग्रेस की कमान संभाल रहे हैं, जब पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिसने कांग्रेस को कई राज्यों से बाहर कर दिया है।

नई दिल्ली.सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे(Veteran leader Mallikarjun Kharge) ने आज (26 अक्टूबर) को यहां एक समारोह में सोनिया गांधी द्वारा चुनाव का प्रमाण पत्र और बैटन(baton) सौंपे जाने के बाद औपचारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल लिया। समारोह के लिए कांग्रेस मुख्यालय में पहले से ही इंतजाम कर दिए गए थे। यहां पार्टी की निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने उत्तराधिकारी मल्लिकार्जुन खड़गे को सत्ता सौंपी, जो 24 वर्षों में संगठन का नेतृत्व करने वाले पहले गैर-गांधी हैं। गांधी परिवार के दौड़ से बाहर होने के बाद खड़गे ने ग्रैंड ओल्ड पार्टी में शीर्ष पद के लिए सीधे मुकाबले में तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर को हराया।

Latest Videos

पदभार संभालने पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-आज मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है, आज एक सामान्य कार्यकर्ता को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुनकर ये सम्मान देने के लिए आप सबका हार्दिक आभार और धन्यवाद देता हूं। BJP और RSS का सपना है कि ये देश विपक्ष मुक्त हो। वो लोग न्यू इंडिया की बहुत बात करते हैं, लेकिन ये कैसा न्यू इंडिया है जिसमें युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, जहां किसानों को जीप के नीचे कुचल दिया जा रहा है, महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है।

कांग्रेस ने पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा-मैं नए पार्टी अध्यक्ष खड़गे जी को बधाई देती हूं। सबसे अधिक संतोष इस बात का है कि जिन्हें अध्यक्ष चुना है वे एक अनुभवी और धरती से जुड़े हुए नेता हैं। एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम करते हुए अपनी मेहनत और समर्पण से इस ऊंचाई तक पहुंचे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि खड़गे को अध्यक्ष पद की कमान सौंपकर वे राहत महसूस कर रही हैं। उनके सिर से बोझ उतर गया है। अब खड़गे यह जिम्मेदारी संभालेंगे। इससे पहले सोनिया और राहुल ने मंच पर खड़गे को गुलदस्ता सौंपकर उनका स्वागत किया था। 

pic.twitter.com/NVHcnGoPlt

जानिए पूरी डिटेल्स
पदभार ग्रहण करने से पहले खड़गे ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके आवास पर मुलाकात की और उनके साथ कुछ समय बिताया। बुधवार की सुबह खड़गे राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उन्होंने पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम के अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के स्मारकों का भी दौरा किया। इस बीच, सुरक्षाकर्मियों और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय और एआईसीसी मुख्यालय के लॉन में अंतिम समय में व्यवस्था की, जहां एक तम्बू लगाया लगाया गया। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री( Madhusudan Mistry) ने समारोह में औपचारिक रूप से चुनाव प्रमाण पत्र खड़गे को सौंपा।

भाजपा एक बड़ी चुनौती
80 वर्षीय खड़गे ऐसे समय में कांग्रेस की कमान संभाल रहे हैं, जब पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिसने कांग्रेस को कई राज्यों से बाहर कर दिया है। खड़गे कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता, लोकसभा में कांग्रेस के नेता और बाद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य कर चुके हैं। उनके पास ऐसे समय में पार्टी की कमान आ रही है, जब पार्टी चुनावी रूप से ऐतिहासिक निचले स्तर पर है। 

कांग्रेस के अब केवल दो राज्यों-राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपने दम पर और झारखंड में एक जूनियर पार्टनर के रूप में सत्ता में रहने के कारण खड़गे की पहली चुनौती हिमाचल प्रदेश और गुजरात में पार्टी को सत्ता में लाना है, जहां अगले कुछ सप्ताह में चुनाव होने हैं। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 12 नवंबर को हैं। गुजरात चुनाव की तारीखों का ऐलान होना बाकी है। 2023 में खड़गे को नौ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का नेतृत्व करने के कठिन कार्य का सामना करना पड़ेगा, जिसमें उनके गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है, जहां से वह 9 बार विधायक रहे।

खड़गे के बारे में यह भी जानिए
गुलबर्गा नगर परिषद के प्रमुख के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए खड़गे ने राज्य मंत्री और गुलबर्गा (2009 और 2014) से लोकसभा सांसद के रूप में भी काम किया है। यह पुराना योद्धा 2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर गुलबर्गा से चुनाव नहीं हारने के लिए जाना जाता है। उस हार के बाद सोनिया गांधी ने खड़गे को राज्यसभा में लाईं और फरवरी 2021 में उन्हें विपक्ष का नेता बनाया। खड़गे को विपक्षी क्षेत्र में कांग्रेस की प्रधानता बहाल करने, उदयपुर में मई के मध्य में चिंतन शिविर में पार्टी द्वारा किए गए कट्टरपंथी सुधारों को लागू करने और अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

वे पहले ही कह चुके हैं कि सभी निर्णयों में गांधी परिवार की स्वीकृति प्राप्त करें। अंतिम गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी थे, जिन्हें उनके पांच साल के कार्यकाल में दो साल बाद 1998 में बेवजह हटा दिया गया था। राजनीति में 50 से अधिक वर्षों के अनुभव वाले नेता, खड़गे एस निजलिंगप्पा के बाद कर्नाटक के दूसरे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष हैं और जगजीवन राम के बाद यह पद संभालने वाले दूसरे दलित नेता हैं। 

यह भी पढ़ें
राहुल गांधी की दीवाली गिफ्ट: ड्राइवरों व मजदूरों को सोने के सिक्के-मिठाई देकर बोले-नफरत को हराएंगे
सुनक के बहाने चिदम्बरम और थरूर पर चढ़ा भारत में अल्पसंख्यक PM का सुरूर, भाजपा ने याद दिला दिए मनमोहन

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश
शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts
महज चंद घंटे में Gautam Adani की संपत्ति से 1 लाख Cr रुपए हुए स्वाहा, लगा एक और झटका
Congress LIVE: राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!