नक्सली हमले में घायल जवानों से मिले अमित शाह, बोले- यह लड़ाई जल्द ही अंजाम तक पहुंचेगी

बीजापुर में शनिवार को हुए नक्सली हमले ने सबको हिलाकर रख दिया है। इसमें 24 जवान शहीद हुए हैं। सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने घायल जवानों से भी मुलाकात की। उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे।

Asianet News Hindi | Published : Apr 5, 2021 5:45 AM IST / Updated: Apr 05 2021, 06:25 PM IST

रायपुर, छत्तीसगढ़. बीजापुर में शनिवार को हुए नक्सली हमले ने सबको हिलाकर रख दिया है। इसमें 24 जवान शहीद हुए हैं। सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने घायल जवानों से भी मुलाकात की। उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे। इससे पहले शाह ने नक्सली मुठभेड़ की जगह से कुछ ही किमी की दूरी पर स्थित बीजापुर जिले के बासागुड़ा में सीआरपीएफ कैंप में शामिल जवानों से भी बातचीत की। शाह ने कहा, नक्सलवाद को समाप्त करने के उनके साहस व उनकी वीरता को नमन करता हूं और विश्वास से कह सकता हूं कि यह लड़ाई जल्द ही अंजाम तक पहुंचेगी।
 


बता दें कि बीजापुर जिले के तर्रेम में हुए नक्सली हमले की गूंज अमेरिका तक सुनाई पड़ी है। अमित शाह ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे। रविवार को अमित शाह ने कहा था-छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देता हूं। मैं उनके परिवार व देश को विश्वास दिलाता हूं कि जवानों ने देश के लिए जो अपना बलिदान दिया है वो व्यर्थ नहीं जाएगा। नक्सलियों के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी व हम इसे परिणाम तक ले जाएंगे।

जानें यह

अमित शाह  ने जगदलपुर में सीनियर ऑफिसर्स के साथ मीटिंग की। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उनके साथ रहे। माना जा रहा है कि इस मीटिंग में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी रणनीति तैयार हुई। कमांडरों की लिस्ट तैयार करने को कहा है। माना जा रहा है कि इनके खिलाफ ऑपरेशन- प्रहार-3 चलाया जाएगा। यानी सबसे पहले टॉप लेवल के नक्सलियों को मारा जाएगा। इसके लिए ह्यूमन इंटेलिजेंस और टेक्निकल इंटेलिजेंस की मदद ली जाएगी। सुरक्षाबल उन नक्सलियों की लिस्ट तैयार कर रहे हैं, जो आदिवासी युवकों का ब्रेन बॉश करके नक्सली गतिविधियों से जोड़ लेते हैं। बीजापुर में सुरक्षाबलों पर हुए हमले में भी गांववालों ने नक्सलियों की मदद की थी।

अमित शाह ने कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई को लॉजिकल एन्ड तक ले जाने के लिए भारत सरकार की प्राथमिकता पहले से तय की है। मैं छत्तीसगढ़ और देश की जनता को विश्वास दिलाना चाहता हू कि हम इस लड़ाई को अब और तेज करेंगे। मैं देश को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि नक्सलियों के खिलाफ ये लड़ाई रुकेगी नहीं बल्कि और गति के साथ आगे बढ़ेगी। इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएंगे, नक्सलवादियों के खिलाफ हमारी विजय निश्चित है। विगत कुछ वर्षों में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंची है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने इसको और बढ़ाने का काम किया है, हम दो मकाम और आगे पहुंचे हैं।


ये सबसे पहले निशाने पर

  1. हिडमा: यह नक्सली मिलिट्री कॉप-6 का टॉप कमांडर है
  2. कमलेश उर्फ लच्छु: यह नक्सली मिलिट्री-1 का कमांडर है
  3. साकेत नुरेती: यह नक्सली प्लाटून-1 का कमांडर है
  4. लालू दंडामी: यह प्लाटून-1 का नक्सली कमांडर है
  5. मंगेश गोंड: यह प्लाटून-2 का कमांडर है
  6. रामजी: यह प्लाटून-2 का कमांडर है
  7. सुखलाल:यह मिलिट्री प्लाटून-17 का कमांडर है
  8. मलेश: यह मिलिट्री प्लाटून-16 का कमांडर है

(लिस्ट एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार)

घात लगाकर पहले से ही बैठे थे नक्सली
पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी कि कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा अपने गांव कुवंती आया हुआ है। इसके बाद 1500 जवानों की एक टीम सर्चिंग के लिए भेजी गई। लेकिन जब टीम वापस लौट रही थी, तभी नक्सलियों ने हमला कर दिया। यह मुठभेड़ करीब 5 घंटे चली। इसमें 24 जवान शहीद हो गए। वहीं, बस्तर आईजी पी सुंदरराजन दावा करते हैं कि इसमें 20-25 नक्सली भी मारे गए। पुलिस सूत्र यह संख्या 25-30 भी बता रहे हैं।

बताते हैं कि नक्सलियों ने देसी रॉकेट लॉन्चर और लाइट मशीनगन (एलएमजी) का इस्तेमाल किया था। जहां यह हमला हुआ, वो नक्सलियों का बड़ा गढ़ माना जाता है। यहीं से एक किमी दूर नक्सलियों के दुर्दांत कमांडर हिडमा का गांव है। डीआईजी(नक्सल ऑपरेशन) ओपी पाल ने बताया कि सुकमा-बीजापुर की सीमा पर जूनागढ़ गांव में यह मुठभेड़ हुई थी।  पुलिस और अर्धसैनिकबल की टीम कई हिस्सों में बंटकर सर्चिंग कर रही थी। जबकि हिड़मा की माओवाद बटालियन ने यू आकार में उन्हें घेर लिया था। यानी पुलिसबल तीन तरफ से घेर ली गई थी। मैदान में पुलिसबल था, जबकि पहाड़ के ऊपर नक्सली।

 

 

 

 

 

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