मुख्यमंत्रियों से चर्चा : PM मोदी बोले- पहले चरण में 3 करोड़ वॉरियर्स को लगेगा टीका, केंद्र उठाएगा खर्चा

16 जनवरी से पूरे देश में कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होना है। इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वैक्सीनेशन पर चर्चा की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, हम 16 जनवरी से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू कर रहे।

Asianet News Hindi | Published : Jan 11, 2021 11:49 AM IST / Updated: Jan 11 2021, 06:09 PM IST

नई दिल्ली. 16 जनवरी से पूरे देश में कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होना है। इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वैक्सीनेशन पर चर्चा की। इस दौरान पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि पहले चरण में 3 करोड़ हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। इसका खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी। इसके अलावा पीएम मोदी ने नेताओं और प्रतिनिधियों को सलाह दी कि वे वैक्सीन के लिए बीच में आकर प्रक्रिया को किसी भी तरह से बधित ना करें, बल्कि अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवाएं।

पीएम मोदी ने कहा, दो वैक्सीन को अनुमति मिलने के अलावा चार और वैक्सीन पाइपलाइन में हैं। यह हमें भविष्य की बेहतर योजना बनाने में मदद करेगा। हमारे विशेषज्ञों ने देशवासियों को प्रभावी टीके उपलब्ध कराने के लिए सभी सावधानियां बरती हैं।

पीएम ने बताया, किन लोगों को लगेगी वैक्सीन

पहला चरण:

- हमारी कोशिश सबसे पहले उन लोगों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की है जो दिनरात देशवासियों की स्वास्थ्य रक्षा में जुड़े हुए हैं यानी हमारे हेल्थ वर्कर्स चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट। इसके साथ साथ हमारे जो सफाई कर्मचारी हैं, दूसरे फ्रंट लाइन वर्कर्स हैं, सैन्य बल हैं, पुलिस और केंद्रीय बल हैं, होमगार्ड्स हैं, डिजास्टर मैनेजमेंट वोलेंटियर्स समेत सिविल डिफेंस के जवान हैं, कंटेन्मेंट और सर्विलांस से जुड़े कर्मचारियों को पहले चरण में टीका लगाया जाएगा। 

दूसरा चरण: 
- दूसरे चरण में 50 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को और 50 वर्ष से नीचे के उन बीमार लोगों को जिनकों संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है, उनको टीका लगाया जाएगा।

पहले चरण का खर्चा उठाएगी केंद्र सरकार
पीएम मोदी ने कहा, पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स, अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स, सिविल सर्वेंट्स, सुरक्षाबलों के लोगों और ऐसे अन्य लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। सभी राज्यों में हेल्थ वर्कर्स की संख्या 3 करोड़ तक है। पहले चरण में, इन 3 करोड़ लोगों के लिए टीकाकरण का खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी। 

पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
राज्यों और केंद्र के बीच चर्चा और सहयोग ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत मदद की है और हमने संघवाद का एक अच्छा उदाहरण पेश किया है।- ये हम सभी के लिए गौरव की बात है कि जिन दो वैक्सीन को इमरजेंसी यूज का ऑथराइजेशन दिया गया है वो दोनों ही मेड इन इंडिया हैं। 
- हमने भारत के लगभग हर जिले में ड्राई-रन पूरे किए हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
- भारत को टीकाकरण का जो अनुभव है, जो दूर-सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचने की व्यवस्थाएं हैं वो कोरोना टीकाकरण में बहुत काम आने वाली हैं। 
- कोरोना वैक्सीन लगाने पर अगर साइड-इफेक्ट दिखता है, तो इसके लिए भी जरूरी तैयारी की गई है। 
- इस टीकाकरण अभियान में सबसे अहम उनकी पहचान और मॉनीटरिंग का है जिनको टीका लगाना है। इसके लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए को-विन नाम का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी बनाया गया है। 
- दुनिया के 50 देशों में तीन-चार सप्ताह से वैक्सीनेशन का काम चल रहा है, लेकिन अब भी करीब-करीब 2.5 करोड़ वैक्सीन हो पाई है। अब भारत में हमे अगले कुछ महीनों में लगभग 30 करोड़ आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करना है।

भारत में इन दो वैक्सीन को मिली अनुमति

1- कोविशील्ड : कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। ब्रिटेन, अर्जेंटीना और स्लावाडोर के बाद भारत चौथा देश है, जिसने कोविशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। कोविशील्ड को भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। सीरम का दावा है कि कंपनी पहले ही 5 करोड़ डोज बना चुकी है। वहीं, कंपनी के 5-6 करोड़ वैक्सीन हर महीने बनाने की क्षमता है। 

कितनी असदार है : 70.42%  
 
कितनी डोज की जरूरत : 
वैक्सीन की 4-6 हफ्तों में दो फुल डोज कोरोना से निपटने के लिए प्रभावी हैं। इससे एक साल तक इम्यून रह सकता है। वैक्सीन को  2°C से 8°C तक स्टोर किया जा सकता है। 

2- कोवैक्सिन : कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने तैयार किया है। कोवैक्सिन को कोरोनोवायरस के कणों का इस्तेमाल करके बनाया गया है, जो उन्हें संक्रमित या दोहराने में असमर्थ बनाते हैं। इन कणों की विशेष खुराक इंजेक्ट करने से शरीर में मृत वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में मदद करके इम्यून का निर्माण होता है।

कितनी प्रभावी : डीजीसीआई के मुताबिक, कोवैक्सीन सुरक्षित और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करता है। वैक्सीन का भारत में तीसरा ट्रायल अभी पूरा करना बाकी है और ऐसे में प्रभावकारिता दर सार्वजनिक नहीं की गई है। 

कितनी डोज की जरूरत :  इस वैक्सीन की भी 2 डोज दी जाएंगी। इसे 2-8° डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जा सकता है। भारत बायोटेक ने बताया था कि वैक्सीन की दो डोज 14 दिन के अंतराल में दी जाएंगी।

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