असम की धरती पर बोले पीएम मोदी, नॉर्थ ईस्ट से लगाव ने अलगाव को खत्म किया, खुलेंगे विकास के द्वार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शुक्रवार को असम के दौरे पर पहुंच गए। पीएम मोदी के स्वागत में कोकराझार दियों की जगमगाहट से खिलता हुआ दिखाई दिया। पीएम मोदी सीएए लागू होने के बाद पहली बार नॉर्थ ईस्ट के दौरे पर है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2020 2:31 AM IST / Updated: Feb 07 2020, 02:24 PM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोकराझार में आयोजित रैली को संबोधित किया। जिसमें पीएम मोदी ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि देश में कुछ लोग हमें डंडे मारने की बात कर रहे हैं। लेकिन उन्हें नहीं पता जिसके पास जनता का कवच है उसका कुछ नहीं हो सकता। इसके साथ ही पीएम मोदी ने बोडो समझौता होने के लिए खुशी जाहिर करते हुए असम के लोगों को बधाई दी। 

बोडो समझौते को लेकर कोकराझार में होने वाले समारोह में शिरकत करेंगे। इस मौके पर मोदी बोडो समझौते के बारे में लोगों को संबोधित करेंगे। समझौते पर 27 जनवरी, 2020 को नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए गए थे।

पीएम मोदी की 10 बड़ी बातें

1- आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थईस्ट के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत, एक नए सवेरे का, नई प्रेरणा का स्वागत करने का है।

2- आज जो उत्साह, जो उमंग मैं आपके चेहरे पर देख रहा हूं, वो यहां के 'आरोनाई' और 'डोखोना' के रंगारंग माहौल से भी अधिक संतोष देने वाला है।

3- मैं न्यू इंडिया के नए संकल्पों में आप सभी का, शांतिप्रिय असम का, शांति और विकास प्रिय नॉर्थईस्ट का स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं। असम में अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ ही, लोकतंत्र और भारत के संविधान को स्वीकार किया है।

4- मैं बोडो लैंड मूवमेंट का हिस्सा रहे सभी लोगों का राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने पर स्वागत करता हूं। पांच दशक बाद पूरे सौहार्द के साथ बोडो लैंड मूवमेंट से जुड़े हर साथी की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को सम्मान मिला है।

5- कुछ लोग डंडा मारने की बात करते हैं। लेकिन जिसे माताओं, बहनों का आशिर्वाद मिला हो, जनता का सुरक्षा कवच हो उसको क्या हो सकता है। जनता का प्यार और आशिर्वाद हमारे लिए सुरक्षा कवच है। 

6- अहिंसा के लिए प्रेरणा स्थल बना असम विकास और शांति हमारी सरकार की प्राथमिकता। एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना जागृत होगी। असम को दशकों की हिंसा से मुक्ति मिली है। बोडो समझौते से स्थाई शांति का रास्ता खुला। 

7- आज का दिन संकल्प लेने का है कि विकास और विश्वास की मुख्यधारा को मजबूत करना है अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है। हर साल उत्तर पूर्व में 1000 से ज्यादा लोग उग्रवाद की वजह से अपनी जान गंवाते थे, अब लगभग शांति है और उग्रवाद समाप्ति की ओर है।

8- महात्मा गांधी कहते थे कि अहिंसा के मार्ग पर चलकर हमें जो भी प्राप्त होता है, वह सभी को स्वीकार होता है। असम में अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का रास्ता चुनने के साथ ही लोकतंत्र को भी स्वीकार किया है। 

9- समझौते में इस क्षेत्र को 1500 करोड़ रुपये का स्पेशल विकास पैकेज मिलेगा। इससे बोडो जनजाति के हर अधिकार, भाषा, संस्कृति का विकास सुनिश्चित होगा। 

10- बोडो टेरिटेरियल काउंसिल का दायरा बढ़ाकर अधिका सशक्त किया गया है। इस समझौते में सबकी जीत हुई है, शांति की जीत हुई है, मानवता की जीत हुई है। 5 दशक बाद बोडोलैंड आंदोलन से जुड़े हर शख्स की अपेक्षाओं और अकांक्षाओं को सम्मान मिला है। 

लाखों दिए जलाकर लोगों ने जताई अपनी खुशी

बोडो शांति समझौते के स्वागत में असम के कोकराझार जिले में लोगों ने लाखों दिए जलाकर अपनी खुशी जाहिर की। पीएम मोदी के स्वागत में कोकराझार दियों की जगमगाहट से खिलता हुआ दिखाई दिया। 

Image

सीएए लागू होने के बाद पीएम का पहला दौरा 

देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने और एनआरसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहली बार नॉर्थ-ईस्ट के किसी राज्य का दौरा कर रहे हैं। ऐसे में सबकी निगाहें टिकी हैं कि पीएम के इस दौरे पर राज्य में क्या माहौल बनता है। दरअसल, संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर पूर्वोत्तर के इस राज्य में भयंकर गुस्सा देखनों को मिला था। 

क्या है विवाद?

असम में लंबे वक्त से बोडो समुदाय अपने बहुल इलाकों को मिलाकर अलग राज्य की मांग कर रहा है। अलग राज्य को लेकर आंदोलन 1980 के दशक में हिंसक हो गया। यह तीन गुटों में बंट गया। पहला नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), दूसरा बोडोलैंड टाइगर्स फोर्स और तीसरा ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन।नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड लगातर अलग राज्य की मांग कर रहा है।

वहीं, टाइगर्स फोर्स इस इलाके को और स्वायत्तता देने की मांग कर रहा है। वहीं, स्टूडेंट्स यूनियन इसका राजनीतिक तरीके से इसका समाधान करना चाहती है।हिंसक प्रदर्शनों के पीछे एनडीएफबी का हाथ होने के चलते केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत इस संगठन को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इस संगठन के लोगों पर हिंसा, जबरन उगाही और हत्‍या का आरोप है।

 

Share this article
click me!