राष्ट्रीय एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के निजीकरण का कर्मचारी संघों ने विरोध करने का फैसला लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कर्मचारियों को उनके वेतन और पेंशन के भुगतान सहित विभिन्न मुद्दों पर अभी भी स्पष्टता नहीं है।
नई दिल्ली: एयर इंडिया के कर्मचारी यूनीयन ने राष्ट्रीय एयरलाइन के निजीकरण का विरोध करने का फैसला किया। कर्मचारियों के बकाया वेतन और पेंशन के भुगतान सहित कई मुद्दों पर अभी भी स्पष्टता नहीं है। कर्मचारी यूनियनों के प्रतिनिधियों की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सरकार घाटे में चल रही एयर इंडिया के प्रस्तावित इंवेस्टमेंट के लिए अंतिम रूपरेखा पर काम कर रही है।
58,000 करोड़ का है कर्ज
मुंबई में यूनियनों के प्रतिनिधियों की बैठक में यह भी तय किया गया कि निजीकरण के खिलाफ सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन (आईटीएफ) को पत्र लिखा जाएगा। इनमें पायलटों, चालक दल के सदस्यों, इंजीनियरों और ग्राउंड स्टाफ समेत अन्य का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन शामिल थी। एयर इंडिया पर कुल 58,000 करोड़ रुपए का कर्ज है और संचयी नुकसान 70,000 करोड़ रुपए है। इसी साल 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में कंपनी को 7,600 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
निजीकरण के मुद्दे पर नागरिक विमानन मंत्री भी कह चुके हैं कि एयर इंडिया को बचाने के लिए उसका निजीकरण करना ही होगा। सरकार ने पिछले साल एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की थी। लेकिन निविदा प्रक्रिया के पहले चरण में एक भी निजी पक्ष ने दिलचस्पी नहीं ली जिससे यह योजना विफल रही।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)