राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat ) इन दिनों राजस्थान के दौरे पर हैं। इस बीच उदयपुर में उन्होंने हिंदुत्व के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी।
उदयपुर, राजस्थान. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जिन जगहों पर हिंदुओं की संख्या में कमी आई है, वहां कई तरह की समस्याएं सामने आई हैं। डॉ. भागवत रविवार को उदयपुर में विद्या निकेतन में आयोजित एक कार्यक्रम-'प्रबुद्धजन गोष्ठी' में अपनी बात रख रहे थे। बता दें कि भागवत इन दिनों राजस्थान के दौरे पर हैं। इससे पहले भागवत ने संघ के कार्यक्रमों में शिरकत की और प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक ली। मोहन भागवत उदयपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ गांव में भोजन करने भी पहुंचे।
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कोरोनाकाल में RSS के कार्यों को सराहा
भागवत ने गोष्ठी में कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने कोरोनाकाल में जिस तरह से निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद की, सेवा की; उसे ही हिंदुत्व कहते हैं। हिंदुत्व में सर्वकल्याण का भाव निहित है। हिंदू राष्ट्र के परम वैभव में ही विश्व का कल्याण निहित है। कार्यक्रम में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया के अलावा विभिन्न वर्गों के 300 प्रबुद्धजन मौजूद थे।
भागवत ने संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने(हेडगेवार) ने अनुभव किया था कि भारत की विविधता के मूल में एकता का भाव है। भागवत ने फिर कहा कि सदियों से भारत की पुण्य भूमि पर रहने वो सभी पूर्वज हिंदू हैं। भागवत ने कहा कि व्यक्ति निर्माण से ही समाज निर्माण और फिर समाज निर्माण से देश निर्माण संभव है। संघ विश्व बंधुत्व की भावना के साथ अपना काम करता है। संघ के लिए समस्त विश्व अपना है।
संघ को लोकप्रियता नहीं चाहिए
डॉ. भागवत ने दो टूक कहा कि संघ को किसी लोकप्रियता की लालसा नहीं है। भागवत ने कहा कि 80 के दशक तक हिंदू शब्द से भी सार्वजनिक परहेज किया जाता रहा है। इन विपरीत परिस्थितियों में भी संघ अपना काम करता रहा। शुरुआत में कोई साधन-संसाधन नहीं थे। इन सबके बावजूद संघ आज दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। क्योंकि संघ की करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं है। यह समाज के विश्वासपात्र लोगों का संगठन है।
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भागवत ने लोगों के सवालों के जवाब भी दिए
कार्यक्रम के दौरान लोगों ने संघ की विचारधारा और कार्यशैली से जुड़े सवाल भी पूछे। भागवत ने बिंदास सभी के जवाब दिए। मीडिया में संघ की छवि को लेकर पूछे गए सवाल पर भागवत ने कहा कि संघ का उद्देश्य कभी प्रचार नहीं रहा। संघ प्रसिद्धि से दूर, अहंकार और स्वार्थ रहित काम करता है। इसके संस्कारित स्वंयसेवकों की प्राथमिकता काम है। संघ काम का ढिंढोरा नहीं पीटता। क्योंकि अगर काम होंगे, तो प्रचार अपने आप हो जाएगा।
आदिवासियों के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर भागवत ने कहा कि सम्पूर्ण समाज को संगठित करना ही संघ का उद्देश्य है। भागवत ने वनवासी कल्याण आश्रम, परिषद, एकल विद्यालय आदि का जिक्र करते हुए कहा कि स्वयंसेवकों की सकारात्मक पहल से इस वर्ग के कल्याण और उन्हें संगठित करने की दिशा में काम चल रहा है।