यह दुर्लभ तस्वीर(Rare picture) महाराष्ट्र के मेलघाट(Melghat) के जंगल से सामने आई है। इसमें आप देख सकते हैं कि कैसे तीन बड़े कोबरा सांप(cobra snake) एक पेड़ पर लिपटे हुए हैं। वे कभी लहराते, तो कभी फन फैलाकर खड़े हो जाते।
नागपुर, महाराष्ट्र. सांप देखकर ही कंपकंपी छूट जाती है। ऐसे में अगर तीन बड़े कोबरा एक साथ, वो भी किसी पेड़ पर लहराते-बल खाते दिखाई दे जाएं, तो सोचिए क्या हाल होगा? यह दुर्लभ तस्वीर(Rare picture) महाराष्ट्र के मेलघाट(Melghat) के जंगल से सामने आई है। इसमें आप देख सकते हैं कि कैसे तीन बड़े कोबरा सांप(cobra snake) एक पेड़ पर लिपटे हुए हैं। वे कभी लहराते, तो कभी फन फैलाकर खड़े हो जाते।
दुर्लभ हैं ये कोबरा
सर्प विशेषज्ञ मानते हैं कि गहरे काले रंग के ये कोबरा कम दिखते हैं। हालांकि मेलघाट के जंगलों में बसे गांवों के लोग कहते हैं कि यहां अकसर काले कोबरा दिखाई दे जात हैं, लेकिन एक साथ तीन बड़े कोबरा उन्होंने भी पहली ही बार देखे। वन कोबरा (forest cobra) यानी नाजा मेलेनोलुका (Naja melanoleuca) को ही आमतौर पर ब्लैक कोबरा (black cobra) कहते हैं। ये विषैलों सांपों की एक प्रजाति है। यह मूलत: अफ्रीकी देश से है। यह आमतौर पर महाद्वीप के मध्य और पश्चिमी भागों में मिलता है। इसकी लंबाई 3.2 मीटर यानी 10 फीट तक होती है। यह तराई के जंगलों( lowland forest) नमी वाली जगहों पर निवास करता है। यह एक सक्षम तैराक सांप है। ब्लैक कोबरा अपने भोजन की आदतों में एक सामान्यवादी है। यानी यह बड़े कीड़ों से लेकर छोटे स्तनधारियों और अन्य सरीसृपों तक कुछ भी खा लेता है। यह सांप बेहद चौकन्ना रहता है। इसे बहुत खतरनाक सांप माना जाता है। जब उसे घेर लिया जाता है या छेड़छाड़ की जाती है, तो वह अपने सामने के शरीर को जमीन से ऊपर उठाकर फन फैलाकर जोर से फुफकारने लगता है। मौका पाकर अटैक भी कर देता है।
मेलघाट के बारे में
महाराष्ट्र की सतपुड़ा पहाड़ियों में बसा मेलघाट एक घना जंगल है। यह एक टाइगर रिजर्व भी है। यहां के गांवों को विस्थापित किया जाना है। हालांकि यह कोशिश पिछले 20 सालों से चली आ रही है। मेलघाट अमरावती जिले में आता है। मेलघाट टाइगर प्रोजेक्ट पिछले 46 सालों से बाघों के संरक्षण और संवर्धन में खास भूमिका निभाता आ रहा है। मेलघाट में विभिन्न प्रकार की वन्यजीव प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां वनस्पति और जीव दोनों ही यहां पाए जाते हैं। मेलघाट का अर्थ होता है-घाटों का मिलन। यानी यहां कई पहाड़ियां हैं। मेलघाट क्षेत्र को 1974 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
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