
नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र(Parliament Winter Session 2021) नवंबर के आखिरी हफ्ते यानी 29 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलेगा। यह सत्र भी मानसून सत्र की तरह हंगामेदार होने की आशंका है। इसकी मुख्य वजह अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। शीतकालीन सत्र की तारीख तय करने जल्द ही संसदीय मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी की बैठक हो सकती है।
पिछले साल नहीं हुआ था शीतकालीन सत्र
बता दें कि पिछले साल Corona Virus के चलते शीतकालीन सत्र नहीं हो पाया था। लेकिन इस बार संक्रमण की रफ्तार काफी कम हो गई है। वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 करोड़ क्रॉस करने के कारण कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी कम हुआ है। देशभर में लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं। इसलिए उम्मीद है कि इस बार शीतकालीन सत्र मानसून सत्र की तरह ही होगा। यानी मानसून सत्र की तरह ही शीतकालीन लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें एक साथ हुआ करेंगी।
यह भी पढ़ें-1971 का युद्ध भारत ने लोकतंत्र की गरिमा और मानवता की रक्षा के लिए लड़ा था: राजनाथ सिंह
शीतकालीन सत्र में दिखेगा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का असर
बता दें कि मानसून सत्र में पेगासस जासूसी केस और किसान आंदोलन को लेकर जबर्दस्त हंगामा हुआ था। राज्यसभा में महिला सांसदों को पीटने तक का आरोप-प्रत्यारोप लगाया गया था। हंगामे के कारण लोकसभा का जहां 96 घंटे में 74 घंटे बर्बाद हो गए वहीं राज्यसभा का 76 घंटे 18 मिनट बर्बाद हो गए थे। मानसून सत्र के दौरान सदन में हंगामे के कारण महज 22 प्रतिशत ही कामकाज हो सका था। 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई थी। इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ था। इस दौरान कुल 20 बिल पास हुए थे। चूंकि अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है, इसलिए शीतकालीन सत्र भी हंगामेपूर्ण होने की आशंका है। इस बार किसान आंदोलन के अलावा, चीन से सीमा विवाद, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतें विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा होंगी।
यह भी पढ़ें-कपड़ा उद्योग के आएंगे अच्छे दिन: देश में 7 PM MITRA पार्कों की होगी स्थापना