संसद का शीतकालीन सत्रः बोले PM मोदी, सरकार हर मुद्दे पर खुली बहस के लिए तैयार

संसद की कार्यवाही में भाग लेने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात की। जिसमें उन्होंने कहा कि 2019 का यह आखिरी सत्र है और यह बहुत ही महत्वपूर्ण सत्र है। क्योंकि राज्यसभा का 250 वां सत्र होगा जो हमारे यात्रा को लेकर अहम है। इसके साथ ही  26 नवंबर को संविधान दिवस भी है। 

नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। संसद की कार्यवाही में भाग लेने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात की। जिसमें उन्होंने कहा कि 2019 का यह आखिरी सत्र है और यह बहुत ही महत्वपूर्ण सत्र है। क्योंकि राज्यसभा का 250 वां सत्र होगा जो हमारे यात्रा को लेकर अहम है। इसके साथ ही  26 नवंबर को संविधान दिवस भी है। संविधान के 70 साल पूरे हो रहे है। इस मायने में यह सत्र काफी महत्तवपूर्ण है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सत्र को याद करते हुए कहा कि अपने कामों के लिए अभूतपूर्व है। इसमें बहुत सारे अहम निर्णय लिए गए। इसके लिए उन्होंने सभी सांसदों के प्रति आभार व्यक्त किया। 

सरकार बहस के लिए तैयार 

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संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पूर्व मीडिया से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर खुली बहस के लिए तैयार है।  उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि यह सत्र विकास को आगे बढ़ाने के लिए, दुनिया के साथ कंधा से कंधा मिलाने के दिशा में काम करेगा। इसके साथ ही उन्होंने सांसदों से सकरात्मक भूमिका निभाने की भी अपील की। 

नागरिकता संशोधन विधेयक पर सरकार का जोर 

मोदी सरकार 2.0 में पिछली बार से ज्यादा बड़ा जनादेश के साथ दोबारा सत्ता में आई बीजेपी इसलिए सरकार इस बार नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पास करवाने की कोशिश करेगी। इस विधेयक से मुस्लिम आबादी बहुल पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम अप्रवासियों के लिए भारत की नागरिकता लेना आसान हो जाएगा। हालांकि विधेयक में इसे स्पष्ट नहीं किया गया है लेकिन इसके तहत ऐसा प्रावधान किया गया है कि इन देशों में अत्याचार सह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं और इसमें मुस्लिम को शामिल नहीं किया गया है। इस विधेयक में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया। नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, भारत की नागरिकता के लिए आवेदक का पिछले 14 साल में 11 साल तक भारत में निवास करना जरूरी है लेकिन संशोधन में इन तीन देशों से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए इस 11 साल की अवधि को घटाकर छह साल कर दिया गया है। 

संसद में लंबित हैं 43 विधेयक 

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक चिटफंड संशोधन विधेयक 2019 उन 12 लंबित विधेयकों में शामिल है, जिन्हें संसद में चर्चा कर पारित करवाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। फिलहाल संसद में 43 विधेयक लंबित हैं, इनमें से 27 विधेयक पेश करने, विचार करने और पारित करने के लिए लिस्टेड किए गए हैं जबकि सात विधेयक वापस लिए जाने हैं। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण चिटफंड अधिनियम 1982 में संशोधन के लिए विधेयक लाएंगी जिस पर विचार करने के बाद उसे पारित करवाने की कोशिश रहेगी।

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