
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) को लेकर 8 जनवरी को आचार संहिता लागू ( code of conduct) कर दी गई है। इस बीच, कांग्रेस (Congress) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) और शासन के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सीएम और अफसरों ने मिलकर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का पुनर्गठन किया है। इसके साथ ही कुछ अन्य नियुक्तियां भी बैक डेट में दिखाकर की हैं, ये सरासर आचार संहिता का उल्लंघन है। इस संबंध में गुरुवार को कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि संबंधित के खिलाफ चुनाव आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए एफआईआर दर्ज की जाए।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने निर्वाचन आयोग के साथ डिजिटल बैठक की और अपना पक्ष रखा और इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा। इस ज्ञापन पर कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला, अभिषेक मनु सिंघवी, पूर्व सीएम हरीश रावत, उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह के हस्ताक्षर हैं। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री धामी, मुख्य सचिव एसएस संधू और कुछ अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और बताया कि संबंधितों ने आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 का उल्लंघन किया है और सरकारी रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की है। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि ‘मंदिर समिति में बैक डेट से भाजपा नेताओं की नियुक्ति’ की गई है और कई अन्य नियुक्तियां भी हुईं हैं, इन सभी को अवैध करार दिया जाए। 8 जनवरी को आचार संहिता के लगने के बाद बैक डेट से नियुक्तियां कर दी गईं।
ये समिति बनाई गई है
उत्तराखंड सरकार ने बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) का पुनर्गठन करने की घोषणा की। प्रदेश के संस्कृति सचिव एचसी सेमवाल ने अधिसूचना जारी की। इसके अनुसार, भाजपा नेता अजेंद्र अजय को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि किशोर पंवार को उपाध्यक्ष और बीडी सिंह मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे । इसके अलावा, समिति में 13 अन्य सदस्य भी होंगे। उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए 14 फरवरी को मतदान होना है और 10 मार्च को नतीजे आएंगे।
विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त की जाए
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की कि चुनाव की घोषणा के 72 घंटे पहले और बाद तक राज्य सरकार की ओर से पारित आदेशों की जांच के लिए विशेष पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाए। इस दौरान देखा जाए कि कौन सी नियुक्तियां सरकार ने अनुचित राजनीतिक लाभ पाने के लिए की हैं।
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