कर्नाटक में हिजाब के बाद पगड़ी विवाद, कॉलेज ने सिख छात्रा से पगड़ी हटाने को कहा, SGPC ने PM मोदी से की ये मांग

शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट धामी ने कहा कि अपने ही देश में सिखों को पगड़ी उतारने के लिए मजबूर करना असहनीय है। उन्होंने कहा कि यह एक गलत फैसला था, जिसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय ने मातृभूमि की आजादी के लिए 80 फीसदी से ज्यादा कुर्बानी दी है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2022 4:58 AM IST

अमृतसर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी (Harjinder Singh Dhami) ने कर्नाटक के बेंगलुरु (Bengaluru) में एक कॉलेज के प्रबंधक द्वारा अमृतधारी छात्रा को पगड़ी उतार कर कॉलेज आने को कहे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस संबंध में एसजीपीसी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखने को कहा है। हरजिंदर सिंह ने देश की आजादी में सिखों के योगदान को याद भी कर्नाटक सरकार को दिलाई है। 

इस तरह का आदेश असहनीय
शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट धामी ने कहा कि अपने ही देश में सिखों को पगड़ी उतारने के लिए मजबूर करना असहनीय है। उन्होंने कहा कि यह एक गलत फैसला था, जिसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय ने मातृभूमि की आजादी के लिए 80 फीसदी से ज्यादा कुर्बानी दी है। उनके अपने देश भारत में पगड़ी पर सवाल उठाया जा रहा है। जिस पगड़ी का सम्मान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और सेना प्रमुख भी करते हैं।

धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने वाला विचार राष्ट्रहित में नहीं
हरजिंदर सिंह धामी ने कहा, सिख समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने वाले विचार कभी भी राष्ट्रहित में नहीं हो सकते। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने करने की मांग की और कहा कि पीएम हर राज्य को लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के निर्देश जारी करें। उन्होंने कर्नाटक सरकार से इस जघन्य कृत्य के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। सिख समुदाय अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के दमन को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।

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क्या है मामला
दरअसल, बेंगलुरु में सिख समुदाय से आने वाली 17 साल की अमृतधारी छात्रा को पगड़ी हटाने के लिए कहा गया। कॉलेज ने 10 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट की तरफ से जारी हुए अंतरिम आदेश का हवाला दिया। कोर्ट ने छात्रों से केसरिया शॉल, हिजाब और धार्मिक झंडों को कक्षा में पहनने से बचने के लिए कहा था। वहीं, सिख छात्रा के परिवार का कहना है कि कर्नाटक सरकार औऱ उच्च न्यायालय को मामले पर सफाई देनी चाहिए और निर्देश जारी करने चाहिए।

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क्या है होता है अमृतधारी सिख 
सिखों के अंतिम गुरू गोबिंद सिंह जी ने जागति ज्योति गुरु ग्रंथ साहिब जी के साथ सिखों को एक और चीज दी थी। जिसे पांच "ककार" के नाम नाम से जाना जाता है। पांच ककार धारण करने वाला ही "पूर्ण सिख" माना जाता है। ऐसा ऐसा सिख जिसने गुरू गोबिंद सिंह जी  द्वारा दिए गए "खंडे बाटे " का अमृत पान किया हो। वह नियमों के अनुसार सिख धर्म की मान्यताओं का पालन करता हो। साथ ही अमृतधारी सिख हमेशा पांच ककार धारण करता है, जो कि कंघा, कड़ा, कच्छहरा , किरपाल और केस। अमृतधारी सिख हमेशा पगड़ी धारण करता है। उसे इस तरह का आदेश देना किसी भी मायने में सही नहीं माना जा सकता है। इसलिए एसजीपीसी की मांग है कि इस दिशा में केंद्र हस्तक्षेप कर उचित कदम उठाए।

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