पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र आज से, कृषि कानूनों के खिलाफ बिल किसानों के साथ बैठक के बाद लाएगी चन्नी सरकार

पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र (Special session Punjab assembly) आज से होगा। यह सत्र आज और 11 नवंबर को भी होगा। पंजाब सरकार (Channi government) किसान संगठनों से बैठक के बाद ही इस विशेष सत्र में कृषि कानूनों (Agricultural laws) के खिलाफ बिल लाएगी। विशेष सत्र से एक दिन पहले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कहा कि सिख विरोधी दंगों की निंदा और गांधी परिवार (Gandhi family) के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी एक प्रस्ताव लाया जाना चाहिए। शिअद (SAD) ने दंगों के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार गांधी परिवार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 8, 2021 5:00 AM IST

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा का आज विशेष सत्र (Special session Punjab assembly) बुलाया गया है। इस विशेष सत्र का समय एक दिन और बढ़ाया गया है। अब यह 11 नवंबर को भी होगा। सत्र में पहले सरकार दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देगी। इसके बाद बीएसएफ (BSF) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के मामले में निंदा प्रस्ताव लाएगी। इसके बाद 11 नवंबर के सत्र से पहले निजी थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौते को रद्द करने के लिए कानूनी बाध्यता दूर करने पर चर्चा होगी। तीन कृषि कानूनों (Agricultural laws) को पंजाब (Punjab) में प्रभावी होने से रोकने के लिए लाया जाने वाला बिल किसान संगठनों से बैठक के बाद ही पेश किया जाएगा।

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (CM Charanjeet singh channi) बिल या प्रस्ताव लाने से पहले यह तय कर लेना चाहते हैं कि कृषि कानूनों पर किसानों की सहमति रहे और बिजली करार रद्द करने में कोई कानूनी पेचीदगी न पैदा हो। रविवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सब कमेटी की बैठक में इन मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा हुई। सरकार की चिंता यह है कि पिछले साल तत्‍कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जो बिल लाए थे, उसे भले ही राज्यपाल ने आगे नहीं भेजा, लेकिन किसान संगठनों ने भी उसे रद्द कर दिया था। इसलिए चन्नी सरकार यह नहीं चाहती है कि इस बार जो बिल लाया जाए, उसे किसान संगठन ही नकार दें। इसलिए पहले किसान संगठनों के साथ बैठक की जाएगी। उनसे विचार-विमर्श के बाद ही विधानसभा में बिल लाया जाएगा। 

थर्मल प्लांट समझौते पर भी पेचीदगी
वहीं, थर्मल प्लांटों के साथ समझौते रद्द होने की स्थिति में मामला कोर्ट तक जाएगा। इसलिए कानून के सहारे ही निजी थर्मल प्लांटों के कोर्ट तक जाने के दरवाजे बंद किए जाएं या इसकी तैयारी कर ली जाए। इसके लिए एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार को चिंता है कि थर्मल प्लांटों के साथ जो समझौते हुए हैं, वह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हैं। ऐसे में जल्दबाजी से मामला कानूनी पेचीदगी में फंस सकता है। यही कारण है कि सत्र एक दिन और बढ़ा दिया गया है।

दोबारा तैयार होगा श्वेत पत्र 
इस बैठक में बिजली समझौते रद्द करने के लिए श्वेत पत्र भी पेश किया गया, जिसे मंत्रियों ने दोबारा तैयार करने को कहा है। इसका प्रमुख कारण यह बताया गया कि श्वेत पत्र वैसा ही है, जो तत्‍कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समय में तैयार किया गया था। तब कैप्टन ने सुखजिंदर सिंह रंधावा और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के साथ इसे साझा किया था। रविवार की बैठक में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, वित्त मंत्री मनप्रीत बादल व खाद्य और आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु मौजूद थे।

सत्र में हंगामा के आसार
सोमवार को होने वाले इस सत्र में हंगामा होने के आसार हैं। इसमें तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी मांग पर प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके अलावा केंद्र की उस अधिसूचना को वापस लेने के लिए भी प्रस्ताव रखा जाएगा, जिसमें बीएसएफ के ज्यूरिडिक्शन का विस्तार किया गया है। हालांकि पंजाब में विपक्षी शिरोमणि अकाली दल और सत्तारूढ़ कांग्रेस सिख विरोधी दंगों और बेअदबी के मामलों पर पहले से ही आमने-सामने हैं। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर बादल ने दंगों के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार गांधी परिवार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अन्य पार्टियों से भी इसमें सहयोग मांगा है।

कांग्रेस ने प्रतिक्रिया दी..
सुखबीर बादल ने कहा कि हम 1984 में हुए सिखों के नरसंहार की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह गांधी परिवार के निर्देश पर किया गया था। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। साथ ही उन्हें अन्य आरोपियों के साथ सलाखों के पीछे रखा जाए. इसके लिए भी एक प्रस्ताव लाया जाया जाना चाहिए। बादल के बयान पर कांग्रेस की ओर से कैबिनेट मंत्री राज कुमार वेरका ने कहा कि अगर इस तरह के प्रस्ताव की मांग की जा रही है तो फिर अकाली-भाजपा काल के दौरान हुई बेअदबी, बरगड़ी और बहिबल कला में फायरिंग की घटनाओं पर भी प्रस्ताव लाया जाए।

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