कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस रेज में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे हैं। लेकिन सवाल यह है कि गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो राजस्थान का सीएम कौन होगा। क्या गहलोत इतनी आसानी से सचिन पायलट को अपनी कुर्सी देंगे। यह चर्चा दिल्ली से लेकर राजस्थान तक जारी है।
जयपुर. कांग्रेस में एक पद एक व्यक्ति का सिद्धांत सक्ति से लागू है। लेकिन वर्तमान में नेशनल स्तर पर कांग्रेस की जो स्थिति है उस स्थिति को देखते हुए इस सिद्धांत को बदला जाए या नहीं यह चर्चा दिल्ली से लेकर राजस्थान तक जारी है। हालांकि सीनियर नेताओं का कहना है कि एक पद एक व्यक्ति का सिद्धांत लागू रहने वाला है। अगर एक पद एक व्यक्ति का सिद्धांत लागू रहता है तो राजस्थान को नया मुख्यमंत्री तलाशना पड़ सकता है। नए मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे एक ही व्यक्ति हैं जो पिछले साढे 3 साल से इस कुर्सी पर बैठने की कोशिश कर रहे हैं, और वो हैं पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट।
गहलोत के बाद क्या सचिन बनेंगे सीएम...लेकिन जादूगर उलझाएंगे मामला
सचिन पायल इस सीट के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं । लेकिन साढे तीन साल में लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें पटकनी देते जा रहे हैं। राजस्थान से लेकर दिल्ली तक यही सवाल है कि क्या अब सचिन पायलट को मौका मिलेगा ...? वैसे तो इसका जवाब सिर्फ कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के पास है , लेकिन राजस्थान के नेताओं का कहना है कि जादूगर अशोक गहलोत बीच का रास्ता निकाल ही लेंगे। अब सवाल यह उठता है कि वह बीच का रास्ता क्या होगा, आइए आपको बताते हैं इसका जवाब .....।
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में एक ही चर्चा जोरों पर
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी और राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के बीच एक ही चर्चा चल रही है और वह यह है कि कुर्सी खाली ही रह सकती है । दरअसल राजस्थान में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं । हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले आचार संहिता लग जाएगी । इस हिसाब से अगर बात करें तो जून या जुलाई महीने में आचार संहिता लग सकती है ।
राजस्थान का सिनेरियो इस ओर कर रहा इशारा...
हर साल मुख्यमंत्री मार्च महीने के अंत तक साल का बजट जारी करते हैं। अगले साल भी यही चर्चा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही बजट जारी करेंगे । इसकी बहुत हद तक संभावना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद वे कुछ दिनों तक राजस्थान की राजनीति में सक्रिय रहने की शर्त आलाकमान के सामने रख सकते हैं और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आलाकमान भी इस शर्त पर राजी हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो इस कार्यकाल में सचिन पायलट का सपना सपना ही बनकर रहने वाला है । हालांकि हर तरह से अंतिम निर्णय आलाकमान का ही रहेगा । लेकिन वर्तमान में राजस्थान में जो सिनेरियो बन रहा है वह इस ओर इशारा कर रहा है ।
क्या फिर सचिन पायलट नहीं बन पाएंगे सीएम
सबसे बड़ी बात यह है की कल रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएमआर में विधायक दल की जो बैठक बुलाई थी उसमें यही कहा था कि वह अंतिम समय तक अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी को ही तैयार करने की कोशिश करेंगे। कई बड़े नेताओं का कहना है कि हो सकता है मुख्यमंत्री का यह संकेत सफल हो जाए । अब संभावनाओं के इस दौर में यह देखना होगा कि राजनीति का ऊंट किस और मुंह करके बैठता है और किस और पीठ करता है.....।