Adhik Maas 2023: अधिक मास में सप्तसागरों की परिक्रमा से मिलते हैं शुभ फल, जानिए किस शहर में ये सात सागर?

Adhik Maas Tradition: इन दिनों सावन का अधिक मास चल रहा है, जो 16 अगस्त तक रहेगा। वैसे तो अधिक मास हर तीसरे साल आता है, लेकिन सावन का अधिक मास 19 साल बाद आया है, इसलिए इसका महत्व कहीं अधिक है।

 

उज्जैन. हिंदू कैलेंडर में हर तीसरे साल एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है, जिसे अधिक मास (Adhik Maas 2023)कहते हैं। इस बार सावन (Sawan 2023) का अधिक मास 18 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 16 अगस्त तक रहेगा। अधिक मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है, साथ ही कई धार्मिक परंपराओं का पालन भी किया जाता है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन (Ujjain) में अधिक मास के दौरान सप्त सागरों की परिक्रमा की परंपरा है। आगे जानिए क्या है ये परंपरा…

ये है सप्तसागरों की परिक्रमा की परंपरा
उज्जैन में अलग-अलग स्थानों पर 7 तालाब हैं, जिन्हें सप्त सागर कहा जाता है। इनका महत्व स्कंद पुराण सहित कई धर्म ग्रंथों में मिलता है। अधिक मास के दौरान इन सप्त सागरों पर जाकर पूजा करने की परंपरा है। साथ ही हर तालाब पर एक विशेष चीज चढ़ाई जाती है। मान्यता है कि अधिक मास के दौरान जो भी सप्त सागरों की परिक्रमा करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आगे जानिए किस तालाब (सागर) में कौन-सी चीज चढ़ाई जाती है…

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रुद्रसागर (Rudra Sagar)
सप्त सागरों में सबसे पहला है रुद्र सागर। ये महाकाल मंदिर के ठीक पीछे और हरसिद्धि शक्तिपीठ मंदिर के सामने स्थित है। इसी के नजदीक अब महाकाल लोक बन चुका है। भक्तजन यहां आकर नमक, सफेद कपड़े और चांदी के नंदी अर्पित करते हैं।

पुष्कर सागर (Pushkar Sagar)
सप्त सागरों में दूसरा है पुष्कर सागर। ये महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर नलिया बाखल क्षेत्र में स्थित है। ये एक बावड़ी के स्वरूप में है। वैसे तो आस-पास रहने वाले लोग प्रतिदिन यहां पूजा करते हैं, लेकिन अधिक मास के दौरान यहां भक्तों की भीड़ लगती है। यहां पीले वस्त्र व चने की दाल चढ़ाने की परंपरा है।

क्षीर सागर (Kshir Sagar)
ये नई सड़क से थोड़ी अंदर की ओर स्थित है। इसके सामने एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। प्रशासन द्वारा इसकी देखरेख की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, यहां साबूदाने की खीर और बर्तन चढ़ाने की परंपरा है।

गोवर्धन सागर (Govardhan Sagar)
चौथे सागर का नाम है गोवर्धन। ये निकास चौराहे पर स्थित है। इसका आकार काफी बड़ा है। इसमें सिंघाड़े की खेती भी की जाती है। अधिक मास के दौरान भक्त यहां माखन-मिश्री, गेहूं और लाल कपड़े मुख्य रूप से चढ़ाते हैं।

रत्नाकर सागर (Ratnakar Sagar)
रत्नाकर सागर शहर से लगभग 4 किमी दूर उंडासा नाम के गांव में स्थित है। यहां पंचरत्न, महिलाओं के शृंगार की सामग्री और महिलाओं को वस्त्र चढ़ाने की परंपरा है।

विष्णु सागर (Vishnu Sagar)
प्राचीन राम जनार्दन के पास स्थित है विष्णु सागर। प्रशासन ने इस स्थान को एक पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित कर दिया है। अधिक मास के दौरान भक्त यहां पंचपात्र (पांच बर्तन), धार्मिक ग्रंथ और माला आदि चीजें चढ़ाते हैं।

पुरुषोत्तम सागर (Purushottam Sagar)
ये इंदिरा नगर के समीप ईदगाह रोड पर स्थित है। इसका स्वरूप भी काफी विशाल है। इसके आस-पास भी कई पुराने मंदिर हैं, जहां रोज पूजा की जाती है। अधिक मास केद दौरान यहां चलनी और मालपुआ अर्पित करने की परंपरा है।



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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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