अजमेर में है दुनिया का सबसे ‘अनोखा मंदिर’, आदि शंकराचार्य से जुड़ा है इसका इतिहास

Ajmer Sharif Dargah controversy: राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर हिंदुओं ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि दरगाह में संकट मोचन महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। 

 

Ajmer Sharif Dargah Vivad: राजस्थान का अजमेर शहर मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। दूर-दूर से लोग यहां जियारत करने आते हैं। इस दरगाह को लेकर हिंदू पक्ष ने कोर्ट में दावा किया है कि यहां संकट मोचन महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। अजमेर सिविल कोर्ट ने हिंदू पक्ष की इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। अजमेर में कईं प्राचीन हिंदू मंदिर भी हैं। इनमें से एक है पुष्कर में स्थित ब्रह्मदेव का मंदिर। ये दुनिया का एकमात्र ब्रह्मदेव का मंदिर है। जानें इस मंदिर से जुड़ी खास बातें..

पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर का इतिहास

अजमेर जिले के पुष्कर में है दुनिया का एकमात्र ब्रह्मदेव का मंदिर। ये हिंदुओं के प्रमुख तीर्थों में से एक है। मान्यता है कि, ब्रह्मा जी ने इसी स्थान पर आकर यज्ञ किया था। पुष्कर तीर्थ का वर्णन रामायण में मिलता है। वाल्मीकि रामायण के बालकांड के सर्ग 62 श्लोक 28 में लिखा है कि-
विश्वामित्रोsपि धर्मात्मा भूयस्तेपे महातपाः।
पुष्करेषु नरश्रेष्ठ दशवर्षशतानि च।।

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यानी विश्वामित्र ने पुष्कर तीर्थ में तपस्या की थी। इस तीर्थ का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है।

आदि शंकराचार्य ने की थी प्रतिमा स्थापित

अजमेर के ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने संवत् 713 में यहां आकर ब्रह्मदेव की मूर्ति की स्थापना की थी। पुष्कर में कई प्राचीन लेख मिले हैं जिनमें सबसे प्राचीन लगभग सन 925 का माना जाता है। मुगलकाल के दौरान तानाशाह औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट करने की कोशिश की लेकिन वो पूरी तरह से ऐसा करने में असफल रहा। बाद में हिंदू राजाओं द्वारा इस मंदिर का पुनर्निमाण करवाया।

भगवान ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर पुष्कर में ही क्यों?

भगवान ब्रह्मा त्रिदेवों में से एक है, लेकिन फिर भी दुनिया में इनका एकमात्र मंदिर पुष्कर में ही स्थित है। इसके पीछे एक कथा है, जो इस प्रकार है- प्राचीन समय में वज्रनाश नाम का एक राक्षस था। ब्रह्माजी ने उसका वध किया तो उनके हाथों से तीन स्थानों पर पुष्प गिरे, इन तीनों स्थानों पर झीलें बन गई। पुष्प गिरने के कारण ही इस जगह का नाम पुष्कर पड़ा। ब्रह्मदेव ने इसी स्थान पर यक्ष किया था। जब यज्ञ पूर्ण होने वाला था तो उस समय देवी सरस्वती वहां नहीं थी, तब ब्रह्मदेव ने गाय के मुख से प्रकट देवी गायत्री से विवाह कर इस यज्ञ को पूर्ण किया। जब देवी सरस्वती ने ये देखा तो उन्होंने ब्रह्मदेव को श्राप दिया कि संसार में सिर्फ इसी एक स्थान पर आपकी पूजा होगी अन्य कहीं नहीं। यही कारण है कि पुष्कर में ही ब्रह्मदेव का एक मात्र मंदिर है।

कैसे पहुंचें?

- पुष्कर के सबसे नजदीक जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां से पुष्कर के लिए ट्रेन और बस आसानी से मिल जाती है।
- अजमेर, पुष्कर का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। यहां से पुष्कर लगभग 15 किमी है। यहां से टैक्सी या सार्वजनिक वाहन आसानी से मिल जाते हैं।
- पुष्कर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। अजमेर होते हुए यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

 

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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो विद्वानों, धर्म ग्रंथों और ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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