Badrinath Temple Katha: उत्तराखंड के 4 धामों में से एक है बद्रीनाथ, जानें इसका ये नाम कैसे पड़ा?

Published : May 13, 2024, 10:56 AM IST
Badrinath-Temple-Katha

सार

Uttarakhand Char Dham Yatra 2024: उत्तराखंड की 4 धाम यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है। 12 मई को बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी खुल चुके हैं। लाखों लोग चार धाम यात्रा के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। 

Badrinath Temple Facts: उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है देवताओं की भूमि। यहां अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं जैसे केदारनाथ, यमुनौत्री और गंगौत्री आदि। इन्ही में से एक है बद्रीनाथ मंदिर। इसे बद्री विशाल भी कहते हैं। हर साल इन चारों मंदिर के दर्शन के लिए यात्रा निकाली जाती है, जिसे उत्तराखंड चार धाम यात्रा कहते हैं। इस बार ये यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है। इन चारों मंदिरों में एक मात्र बद्रीनाथ देश के 4 धामों में से भी एक है। आगे जानिए इस मंदिर का नाम कैसे पड़ा बद्रीनाथ…

भगवान विष्णु ने की यहां तपस्या
धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने तपस्या करने का निश्चय किया। इसके लिए वे हिमालय आए और तपस्या में लीन हो गए। इस दौरान बहुत अधिक हिमपात होने लगा यानी बर्फ गिरने लगी। भगवान विष्णु इस बर्फ में पूरी तरह से ढंक गए। उनकी ये दशा देखकर माता लक्ष्मी बेर का वृक्ष बनकर उसके समीप स्थित हो गई, जिससे पूरी बर्फ उनके ऊपर आने लगी। हजारों सालों तक माता लक्ष्मी इसी रूप में भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और बर्फ से बचाती रहीं। जब भगवान विष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा कि लक्ष्मीजी बेर के वृक्ष के रूप में बर्फ से ढकी हुई हैं। ये देख उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा कि ‘तुमने भी मेरे ही समान तपस्या की है, इसलिए आज से इस धाम पर मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जायेगा और तुम्हारे बद्री (बेर) रूप के कारण ही इसे बद्रीनाथ के नाम से जाना जायेगा।

हर युग में अलग नाम
बद्रीनाथ स्थान का नाम हर युग में अलग रहा है। स्कन्दपुराण में बद्री क्षेत्र को मुक्तिप्रदा कहा गया है, जिससे ये स्पष्ट होता है कि सत युग में इस क्षेत्र का नाम यही हुआ करता था। त्रेता युग में इस क्षेत्र को योग सिद्ध और द्वापर युग में इसे मणिभद्र आश्रम और विशाला तीर्थ कहा गया है। कलयुग में ये धाम बद्रिकाश्रम और बद्रीनाथ के नाम से प्रसिद्ध है।


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