Dhumavati Jayanti 2023: धूमावती जयंती 28 मई को, 10 महाविद्याओं में से एक हैं ये देवी, जानें पूजा विधि

Dhumavati Jayanti 2023: धर्म ग्रंथों में देवी दुर्गा के अनेक रूप बताए गए हैं। 10 महाविद्याएं भी इनमें शामिल हैं। तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इन्हीं में से एक है देवी धूमावती। इन्हें अलक्ष्मी भी कहते हैं। 

 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों में 10 महाविद्याओं का वर्णन है। ये देवी दुर्गा के 10 स्वरूप हैं। इनमें से अधिकांश की पूजा तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए की जाती है। इन 10 महाविद्याओं में से एक है देवी धूमावती (Dhumavati Jayanti 2023), जिन्हें अलक्ष्मी भी कहा जाता है। हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी धूमावती की जयंती मनाई जाती है। जानें इस बार ये पर्व कब मनाया जाएगा, साथ ही देवी धूमावती की पूजा विधि और कथा…

इस दिन मनाई जाएगी देवी धूमावती की जयंती (Dhumavati Jayanti 2023 Date)
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 27 मई, शनिवार की सुबह 07:43 से 28 मई, रविवार की सुबह 09:57 तक रहेगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्योदय 28 मई को होगा, इसलिए इसी दिन धूमावती जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र दिन भर रहेगा, जिससे छत्र नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा हर्षण नाम के एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा।

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देवी धूमावती की पूजा से दूर होती है हर परेशानी (Who is Goddess Dhumavati?)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी धूमावती की पूजा से हर तरह की परेशानी और गरीबी दूर होती है। इनका निवास ज्येष्ठा नक्षत्र में बताया गया है। तंत्र सिद्धियां प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका समाधान देवी धूमावती की पूजा से संभव न हो।

इस विधि से करें देवी धूमावती की पूजा...( Goddess Dhumavati Puja Vidhi)
- 28 मई, रविवार की सबुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद किसी साफ स्थान पर देवी धूमावती का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- सबसे पहल देवी को फूल चढ़ाएं और शुद्ध घी की दीपक लगाएं। इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, चावल, फल, धूप आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। पूजा के अंत में देवी को भोग भी लगाएं।
- मां धूमावती की कथा सुनें और अंत में आरती करें। मां धूमावती के दर्शन से संतान और पति की रक्षा होती है। मान्यता के अनुसार सुहागिन महिलाएं मां धूमावती की पूजा न करें, दूर से दर्शन कर सकती हैं।
- पूजा के बाद अपनी मनोकामना मां धूमावती के सामने कहें। मां धूमावती की कृपा से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है तथा दु:ख, गरीबी आदि दूर होकर मनचाहा फल प्राप्त होता है।

धूमावती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (Dhumavati Ashtottara Shatnam Stotram)
ईश्वर उवाचधूमावती धूम्रवर्णा धूम्रपानपरायणा ।
धूम्राक्षमथिनी धन्या धन्यस्थाननिवासिनी ॥ 1॥
अघोराचारसन्तुष्टा अघोराचारमण्डिता ।
अघोरमन्त्रसम्प्रीता अघोरमन्त्रपूजिता ॥ 2॥
अट्टाट्टहासनिरता मलिनाम्बरधारिणी ।
वृद्धा विरूपा विधवा विद्या च विरलद्विजा ॥ 3॥
प्रवृद्धघोणा कुमुखी कुटिला कुटिलेक्षणा ।
कराली च करालास्या कङ्काली शूर्पधारिणी ॥ 4॥
काकध्वजरथारूढा केवला कठिना कुहूः ।
क्षुत्पिपासार्दिता नित्या ललज्जिह्वा दिगम्बरी ॥ 5॥
दीर्घोदरी दीर्घरवा दीर्घाङ्गी दीर्घमस्तका ।
विमुक्तकुन्तला कीर्त्या कैलासस्थानवासिनी ॥ 6॥
क्रूरा कालस्वरूपा च कालचक्रप्रवर्तिनी ।
विवर्णा चञ्चला दुष्टा दुष्टविध्वंसकारिणी ॥ 7॥
चण्डी चण्डस्वरूपा च चामुण्डा चण्डनिस्वना ।
चण्डवेगा चण्डगतिश्चण्डमुण्डविनाशिनी ॥ 8॥
चाण्डालिनी चित्ररेखा चित्राङ्गी चित्ररूपिणी ।
कृष्णा कपर्दिनी कुल्ला कृष्णारूपा क्रियावती ॥ 9॥
कुम्भस्तनी महोन्मत्ता मदिरापानविह्वला ।
चतुर्भुजा ललज्जिह्वा शत्रुसंहारकारिणी ॥ 10॥
शवारूढा शवगता श्मशानस्थानवासिनी ।
दुराराध्या दुराचारा दुर्जनप्रीतिदायिनी ॥ 11॥
निर्मांसा च निराकारा धूतहस्ता वरान्विता ।
कलहा च कलिप्रीता कलिकल्मषनाशिनी ॥ 12॥
महाकालस्वरूपा च महाकालप्रपूजिता ।
महादेवप्रिया मेधा महासङ्कटनाशिनी ॥ 13॥
भक्तप्रिया भक्तगतिर्भक्तशत्रुविनाशिनी ।
भैरवी भुवना भीमा भारती भुवनात्मिका ॥ 14॥
भेरुण्डा भीमनयना त्रिनेत्रा बहुरूपिणी ।
त्रिलोकेशी त्रिकालज्ञा त्रिस्वरूपा त्रयीतनुः ॥ 15॥
त्रिमूर्तिश्च तथा तन्वी त्रिशक्तिश्च त्रिशूलिनी ।
इति धूमामहत्स्तोत्रं नाम्नामष्टोत्तरात्मकम् ॥ 16॥


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