Divya Dhanush: ये 5 हैं पौराणिक काल के सबसे प्रलयंकारी और दिव्य धनुष, क्या आप जानते हैं इनके नाम और खास बातें?

रामायण (Ramayana), महाभारत (Mahabharata) आदि कई धर्म ग्रंथों में ऐसे दिव्य धनुषों के बारे में बताया गया है जो बहुत ही दिव्य थे। ये धनुष जिनके भी पास होते थे, उसका मुकाबला संसार का कोई महारथी नहीं कर सकता है। गांडीव, पिनाक और सारंग भी ऐसे ही धनुष थे।

 

Manish Meharele | Published : Feb 12, 2023 3:50 AM IST

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जानें पौराणिक काल के दिव्य धनुषों के बारे में...

धर्म ग्रंथों में अनेक अस्त्र-शस्त्रों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। इन सभी में तीर-धनुष बहुत ही खास होते थे। इसकी खासियत होती थी कि ये दूर से ही अपने शत्रुओं का नाश कर देते थे। रामायण (Ramayana) में भगवान श्रीराम का मुख्य अस्त्र भी तीर-धनुष ही थे और महाभारत (Mahabharata) में अर्जुन को सबसे बड़ा धनुर्धर बताया गया है। आज हम आपको ऐसे दिव्य धनुषों के बारे में बता रहे हैं, जो जिसके भी पास होते थे, उसका मुकाबला करना बहुत ही कठिन हो जाता था। आगे जानिए इन दिव्य धनुषों के बारे में…
 

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गाण्डीव धनुष (Gandiv Dhanush)

महाभारत में अगर किसी धनुष का सबसे ज्यादा वर्णन मिलता है तो वह गाण्डीव धनुष है। ये अर्जुन का धनुष था। इसका निर्माण देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा ने किया था। ये धनुष पहले शिवजी, उसके बाद देवराज इंद्र के हाथों से होता हुआ अग्निदेव के पास आ गया। जब अग्निदेव ने अर्जुन से खाण्डव वन जलाने के प्रार्थना की तो उस समय उन्होंने गांडीव धनुष और एक दिव्य रथ भी उन्हें दिया था। अर्जुन ने इस धनुष से असंख्य युद्ध जीते। यह धनुष अत्याधिक शक्तिशाली और सुदृढ़ था।
 

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कोदंड धनुष (Kodand Dhanush)

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम के धनुष का नाम कोदंड था। ये बांस के द्वारा बनाया गया था। ये धनुष दिव्य शक्तियों से युक्त था। रामायण में इसे महाप्रलंयकारी बताया गया है। उसके अनुसार, इस धनुष से छोड़ा गया तीर अपने लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था। इसी धनुष से श्रीराम ने बाली, रावण सहित कई पराक्रमी योद्धाओं का वध किया था। कोदंड नाम से भिलाई में एक राम मंदिर भी है जिसे 'कोदंड रामालयम मंदिर' कहा जाता है। 
 

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पिनाक धनुष (pinak Dhanush)

रामायण और शिवमहापुराण आदि कई ग्रंथों में पिनाक धनुष का वर्णन मिलता है। ये भगवान शिव का धनुष था। महादेव ने इसी दिव्य धनुष से त्रिपुरासुर राक्षस का अंत किया था और इस धनुष से चलाए गए एक ही तीर से त्रिपुरों का नाश कर दिया था। ये धनुष शिवजी ने इंद्र को दिया था, जिसे उन्होंने राजा जनक के पूर्वजों को सौंप दिया था। सीता स्वयंवर के दौरान श्रीराम के हाथों ये धनुष टूट गया था।
 

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सारंग धनुष (Sarang Dhanush)

महाभारत के अनुसार, वैसे तो श्रीकृष्ण का मुख्य अस्त्र चक्र था, लेकिन उनके पास एक दिव्य धनुष भी था, जिसका नाम सारंग या शारंग था। ये धनुष भगवान विष्णु का था, जिसे उन्होंने ऋषि ऋचिक को दे दिया था। ऋषि ऋचिक ने अपने पोते परशुराम को इसे दिया था। उन्होंने इसे श्रीराम को और श्रीराम ने इसे जल के देवता वरुण को दे दिया था। खांडव वन दहन के दौरान वरुण देवता ने ये धनुष श्रीकृष्ण को सौंप दिया था।
 

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विजय धनुष (Vijjay Dhanush)

महाभारत काल में गाण्डवी और सारंग के बाद अगर कोई सबसे दिव्य धनुष था तो था विजय धनुष, जो कर्ण के पास था। ये धनुष कर्ण को उनके गुरु भगवान परशुराम ने दिया था और ये आशीर्वाद भी दिया था कि जब तक ये धनुष तुम्हारे हाथों में रहेगा, तब तक कोई तुम्हें पराजित नहीं कर पाएगा। पुराणों के अनुसार, विजय एक ऐसा धनुष था जो किसी भी प्रकार के अस्त्र या शस्त्र से खंडित नहीं हो सकता था। 


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