जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के लिए श्रीगणेश को आमंत्रित किया तो उन्होंने शर्त रखी कि ‘यदि लिखते समय मेरी लेखनी क्षणभर के लिए भी न रूके तो मैं इस ग्रंथ का लेखक बन सकता हूं।’ महर्षि वेदव्यास जी श्रीगणेश की ये शर्त मान ली और कहा कि ‘मैं जो भी बोलूं आप उसे बिना समझे मत लिखना।’ तब वेदव्यास जी बीच-बीच में कुछ ऐसे श्लोक बोलते कि उन्हें समझने में श्रीगणेश को थोड़ा समय लगता। इस बीच महर्षि वेदव्यास अन्य श्लोकों की रचना कर लेते थे।
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