जया किशोरी: अध्यात्म से परे, जानें उनके जीवन के अनछुए पहलू

जया किशोरी, अध्यात्म की दुनिया में एक जाना-माना नाम, हाल ही में अपने महंगे बैग को लेकर चर्चा में रही। बागेश्वर बाबा से जुड़ी अफवाहों से लेकर उनके आध्यात्मिक सफर तक, जानें उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू।

हाल ही में सुंदरी, कीर्तनकार, अध्यात्म भाषणकर्ता जया किशोरी सुर्खियों में थीं। उनके हाथ में जो ब्रांडेड बैग था, वो चर्चा का विषय बन गया। वह 2 लाख रुपये कीमत वाला डायर ब्रांड का लग्जरी बैग था। अध्यात्म की बात करने वाली ऐसा बैग इस्तेमाल करती है, यह देखकर कई नेटिज़न्स ने उन्हें ट्रोल किया। लेकिन जया किशोरी के यह कहने के बाद कि "मैं अध्यात्म की बातें करती हूँ, लेकिन मैं कोई सन्यासिनी नहीं हूँ", ट्रोलिंग थम गई।

वैसे जया किशोरी के साथ एक और नाम जुड़ा है। वह है बागेश्वर बाबा उर्फ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री। ये उत्तर भारत के बहुत बड़े क्राउड पुलर हैं। लाखों भक्त इनके भाषण और कीर्तन सुनने आते हैं। इससे पहले, कई रिपोर्टों ने जया किशोरी का नाम बागेश्वर बाबा- धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ जोड़ा था। बागेश्वर बाबा भी अपनी सिद्धियों को लेकर चर्चा में थे। "बागेश्वर धाम सरकार" और "बागेश्वर बाबा" के नाम से जाने जाने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम मंदिर के प्रमुख हैं। अभी युवा हैं, स्मार्ट भी। 

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कुछ खबरों में कहा गया था कि जया किशोरी बागेश्वर बाबा के साथ शादी करने वाली हैं। लेकिन धीरेंद्र शास्त्री ने इन अफवाहों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि जया किशोरी मेरे लिए बहन जैसी हैं। बागेश्वर बाबा की तरह जया किशोरी भी श्रीकृष्ण की भक्त हैं और कृष्ण ही उनका "पहला प्यार" है। 

राजस्थान की जया किशोरी हरिकथा के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। इंस्टाग्राम, फेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनकी खबरें, उनके प्रवचन छाए रहते हैं। उनका असली नाम जया शर्मा है। 13 जुलाई, 1995 को राजस्थान के एक छोटे से गाँव, सुजानगढ़ में जन्मीं जया किशोरी वर्तमान में कोलकाता में रहती हैं। जया किशोरी ने बी.कॉम की पढ़ाई के साथ-साथ अध्यात्म को भी समय दिया। बचपन से ही भजन, गीता वाचन करती आ रही जया किशोरी का झुकाव अध्यात्म की ओर अधिक है। वेद, भगवद्गीता, शास्त्रों का भी जया किशोरी ने अध्ययन किया है।  

जया किशोरी का आध्यात्मिक सफर 6-7 साल की उम्र में शुरू हुआ। परिवार में उनकी दादी का उन पर सबसे अधिक प्रभाव था। उनकी दादी उन्हें श्रीकृष्ण की कहानियाँ सुनाती थीं। महज 9 साल की उम्र में, किशोरी ने लिंगाष्टकं, शिव तांडव स्तोत्रं, मधुराष्टकाम्र, शिवपंचाक्षर स्तोत्रं, दरिद्रय दहन शिव स्तोत्रं जैसे कई स्तोत्र कंठस्थ कर लिए थे। संगीत भी गाने लगीं। केवल 10 साल की उम्र में जया ने पूरा सुंदरकांड प्रस्तुत किया। वहीं से उनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई। 

जया किशोरी एक कथा के लिए लाख रुपये फीस लेती हैं। लेकिन अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा दान कर देती हैं। अपने लिए जया किशोरी ज्यादा खर्च नहीं करती हैं। कथावाचक जया किशोरी किसी भी कथा को लिखने से पहले एडवांस लेती हैं और कथा पूरी होने के बाद पूरी रकम लेती हैं। अपनों और गरीबों के लिए मुफ्त में कथा सुनाती हैं। अनुरोध करने पर कुछ लोगों को वे मुफ्त में कथा सुनाती हैं। 

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