Mangala Gauri Vrat 2023: त्रिपुष्कर योग में 4 जुलाई को करें सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, मिलेगी मैरिड लाइफ की हर खुशी

Published : Jul 04, 2023, 08:38 AM IST
managla gouri vrat 2023

सार

Mangala Gauri Vrat 2023: इस बार सावन मास 4 जुलाई, मंगलवार से शुरू हो चुका है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन सुखी रहता है। 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, सावन मास में कई प्रमुख व्रत-त्योहार किए जाते हैं। मंगला गौरी व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत सावन के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। इस बार सावन का पहला मंगलवार गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2023) 4 जुलाई को किया जाएगा। खास बात ये है कि इसी दिन से सावन मास की शुरूआत भी हो रही है। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। ये व्रत विवाहित और कुंवारी कन्याएं दोनों कर सकती हैं। आगे जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें…

मंगला गौरी व्रत के शुभ योग (Mangala Gauri Vrat 2023 Shubh Yog)
सावन में महिल प्रधान कईं व्रत किए जाते हैं। मंगला गौरी भी इनमें से एक है। इस व्रत के शुभ प्रभाव से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी और विवाहित महिलाओं को दांपत्य सुख मिलता है। 4 जुलाई, मंगलवार को कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते ये व्रत और भी खास हो गया है। पंचांग के अनुसार, इस दिन मित्र, पद्म, त्रिपुष्कर, इंद्र और वैधृति नाम के 5 शुभ योग एक साथ बन रहे हैं।

इस विधि से करें मंगला गौरी व्रत की विधि (Mangala Gauri Vrat Vidhi)
- 4 जुलाई, मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, फूल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन व्रत सात्विक रूप से बिताएं। किसी से भी विवाद न करें।
- उपयुक्त समय देखकर देवी पार्वती का चित्र या प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित कर ये मंत्र बोलें-
गौरी मे प्रीयतां नित्यं अघनाशाय मंगला।
सौभाग्यायास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।।
अर्थ - गौरी नित्य मुझ पर प्रसन्न रहें, मंगला मेरे पापों का नाश करें। ललिता मुझे सौभाग्य प्रदान करें और भवानी मुझे सब सिद्धियां प्रदान करें।
- इसके बाद देवी को फूलों का हार पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। कुंकुम से तिलक करें। माता पार्वती को सुहाग की सामग्री जैसे लाल चूड़ियां, लाल चुनरी, कुमकुम आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं रहें।
- सबसे अंत में अपनी इच्छा अनुसार देवी को भोग लगाकर माता की आरती करें। शाम को अपना व्रत पूर्ण करें। इस प्रकार जो महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती हैं, उन्हें वैवाहिक जीवन का हर सुख मिलता है।

मां पार्वती जी आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल की दाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
अरिकुल कंटक नासनि, निज सेवक त्राता,
जगजननी जगदम्बा, हरिहर गुण गाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सिंह को वहान साजे, कुंडल है साथा,
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ता था ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सतयुग रूप शील अतिसुंदर, नाम सती कहलाता,
हेमाचंल घर जन्मी, सखियाँ संगराता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमाचंल स्थाता,
सहस्त्र भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाथा ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सृष्टि रूप तुही है जननी, शिव संग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लही, सारा जग मदमाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥


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