Nagpanchami 2023: कौन हैं नागों के माता-पिता, क्यों सांपों की जीभ 2 टुकड़ों में बंटी दिखाई देती है?

Nagpanchami 2023: इस बार नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा करने का भी विधान है। धर्म ग्रंथों में भी नागों से जुड़ी कई रोचक कथाएं पढ़ने को मिलती हैं। नागों की उत्पत्ति कैसे हुई। इसका वर्णन भी महाभारत में है।

 

Manish Meharele | Published : Aug 20, 2023 4:22 AM IST

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कौन हैं नागों के माता-पिता?

महाभारत के अनुसार, महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं। इनमें से कद्रू भी एक थी। कद्रू ने महर्षि कश्यप से एक हजार तेजस्वी नाग पुत्रों का वरदान मांगा, जिससे शेषनाग, वासुकि, तक्षक, शंखपाल जैसे महान पराक्रमी नागों की उत्पत्ति हुई। शेषनाग ईश्वर भक्ति में लीन हो गए तो वासुकि को नागों का राजा बनाया गया।

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जब कद्रू और विनता में लगी शर्त

महर्षि कश्यप की एक अन्य पत्नी भी थी, जिनका नाम विनता था। पक्षीराज गरुड़ विनता के ही पुत्र हैं। एक बार कद्रू और विनता ने एक सफेद घोड़ा देखा। कद्रू ने कहा कि इस घोड़े की पूंछ काली है और विनता ने कहा सफेद। कद्रू ने कहा कि अगर इस घोड़े की पूंछ काली हुई तो तुम्हें मेरी दासी बनना पड़ेगा। विनता ने शर्त मान ली।

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कद्रू ने किया छल

शर्त जीतने के लिए कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि ‘तुम सभी अपना आकार छोटा करके घोड़े की पूछ से लिपट जाओ ताकि उसकी पूंछ काली नजर आए और मैं ये शर्त जीत जाऊं। कुछ सांपों ने ऐसा करने से मना कर दिया जबकि कुछ ये बात मान गए। इस तरह कद्रू ने ये शर्त जीत ली, जिससे विनता उसकी दासी बन गई।

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गरुड़ स्वर्ग से लेकर आए अमृत

जब गरुड़ को पता चला कि शर्त हारने के कारण उनकी मां विनता दासी बन गई है तो उन्होंने कद्रू से पूछा कि ‘मैं आपको वो कौन सी वस्तु लाकर दूं जिससे मेरी माता दासत्व से मुक्त हो जाए।’ तब कद्रू और सर्पों ने कहा कि ‘तुम हमें स्वर्ग से अमृत लाकर दोगे तो तुम्हारी माता दासत्व से मुक्त हो जाएगी।’ अपने पराक्रम से गरुड़ स्वर्ग जाकर अमृत कलश ले आए।

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इसलिए सांप की जीभ के हो गए 2 टुकड़े

जब गरुड़ स्वर्ग से अमृत कलश लेकर आए और उन्होंने उसे कुशा (एक प्रकार की धारदार घास) पर रख दिया। अमृत पीने से पहले जब सर्प स्नान करने गए, उसी समय देवराज इंद्र अमृत कलश लेकर उठाकर फिर से स्वर्ग ले गए। जब सांपों ने ये देखा तो वे उस घास को ही चाटने लगे, जिस पर कलश रखा था। वो घास बहुत धारदार थी, जिसे चाटने से सांपों की जीभ दो टुकड़े हो गए।

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