Shiv Chaturdashi May 2023: मई 2023 में एक ही दिन किए जाएंगे प्रदोष और शिव चतुर्दशी व्रत, जानें क्यों होगा ऐसा?

Shiv Chaturdashi May 2023: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महीने में कई व्रत किए जाते हैं प्रदोष और शिव चतुर्दशी व्रत भी इनमें से एक है। ये दोनों ही व्रत अलग-अलग तिथियों पर किए जाते हैं, लेकिन मई 2023 में ये दोनों व्रत एक ही दिन किए जाएंगे।

 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में शाम के समय यानी प्रदोष काल (Pradosh Vrat May 2023) में शिवजी की पूजा का विधान है। वहीं प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिव चतुर्दशी का व्रत करना का विधान है। इस व्रत के अंतर्गत रात में शिवजी की पूजा की जाती है। इसे मासिक शिवरात्रि (Shiv Chaturdashi May 2023) भी कहते हैं। इस बार ये दोनों व्रत एकही दिन किए जाएंगे। आगे जानिए ऐसा क्यों होगा…

इस दिन किया जाएगा प्रदोष और शिव चतुर्दशी व्रत
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 16 मई, मंगलवार की रात 11:36 से शुरू होकर 17 मई, बुधवार की रात 10:28 तक रहेगी। चूंकि प्रदोष व्रत में शिवजी की पूजा शाम को करने का विधान है, इसलिए 17 मई को ही प्रदोष व्रत किया जाएगा। 17 मई, बुधवार की रात 10:28 के बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ हो जाएगी, जो 18 मई, गुरुवार की रात 09:43 तक रहेगी। 17 मई को रात भर चतुर्दशी तिथि होने से शिव चतुर्दशी का व्रत भी इस दिन किया जाएगा।

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कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन?
ज्योतिषियों के अनुसार, 17 मई, बुधवार को आयुष्मान योग रात 09:17 तक रहेगा। इसके बाद सौभाग्य नाम का एक अन्य शुभ योग रात अंत तक रहेगा। आयुष्मान और सौभाग्य ये दोनों ही शिवजी की पूजा के लिए बहुत ही शुभ योग माने गए हैं। 17 मई की सुबह चंद्रमा मीन राशि से निकलकर मेष राशि में आ जाएगा, जहां पहले से ही गुरु स्थित है। गुरु और चंद्रमा की युति से गजकेसरी नाम का अत्यंत शुभ योग बनेगा जो 17 मई को दिन भर रहेगा।

जानें प्रदोष और शिव चतुर्दशी व्रत का महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को कुष्ठ रोग होने के श्राप दिया तब, चंद्रमा ने शिवजी की तपस्या की। प्रदोष तिथि पर ही शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने चंद्रमा को श्राप मुक्त कर दिया, तभी से प्रदोष व्रत किया जा रहा है। वहीं फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर पर शिवजी लिंग रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

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