Varuni Parv 2023: वारुणी पर्व 19 मार्च को, जानें कौन हैं जल के देवता, इस दिन क्यों करते हैं इनकी पूजा?

Varuni Parv 2023: हिंदू धर्म ग्रंथों में जल के देवता वरुण देव को बताया गया है। कुछ खास मौकों पर इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। वारुणी पर्व भी इन्हीं में से एक है। ये पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

 

उज्जैन. इस बार वारुणी पर्व (Varuni Parv 2023) 19 मार्च, रविवार को है। इस दिन जल के देवता वरुण की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। वरुण देवता की पूजा करने के चलते ही इस पर्व का नाम वारुणी रखा गया है। वारुणी योग को हजारों ग्रहण के बराबर माना गया है। वारुणी योग में पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा महत्व है। इस योग में किए गए उपाय, पूजा आदि का फल कई गुना होकर प्राप्त होता है। कुछ खास संयोग होने पर ये पर्व महावारुणी कहलाता है। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

जानें कौन हैं जल के देवता वरुणदेव? (who is the god of water varundev)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जल के अधिपति देवता वरुण हैं। इनकी पत्नी का नाम चर्षणी है। वाहन मगरमच्छ है। ऋग्वेद के सातवें मंडल में वरुण के लिए प्रार्थना गीत मिलते हैं। पुराणों में वरुण देव को महर्षि कश्यप का पुत्र कहा गया है। वरुण का अर्थ ही होता है जल का स्वामी। जल के देवता के रूप में प्राचीन काल से ही वरुण देव की पूजा होती आ रही है। देवताओं के तीन वर्गों (पृथ्वी, वायु और आकाश) में वरुण का सर्वोच्च स्थान है। देवताओं में तीसरा स्थान वरुण का माना जाता है।

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जानें वारुणी पर्व से जुड़ी खास बातें
वारुणी पर्व पर नदियों, सागरों, कुओं और ट्यूबेल की पूजा की जाती है। इस दिन किए गए दान का महत्व सूर्यग्रहण में दिए दान के समान माना गया है। इस दिन यदि शतभिषा नक्षत्र और शनिवार का संयोग हो तो इसे महावारूणी कहते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार इस पर्व पर किया गया स्नान-दान और श्राद्ध अक्षय पुण्य देने वाला होता है। भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है।

ये काम कर सकते हैं वारुणी पर्व पर
1. विवादों के निपटारे के लिए वारुणी पर्व बहुत ही खास माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी नए काम की शुरूआत के लिए भी ये तिथि बहुत खास है।
2. वारुणी योग में मकान, दुकान आदि अचल संपत्ति भी खरीदी जा सकती है। कृषि से जुड़े काम और किसी विशेष यात्रा पर जाने के लिए भी वारूणी योग श्रेष्ठ माना गया है।
3. शिक्षा से जुड़े काम या किसी ट्रेनिंग पर जाने के लिए भी ये तिथि बहुत खास मानी गई है। ऐसा संयोग साल में सिर्फ एक बार ही बनता है।



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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

 

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