पितृ पक्ष के दौरान पितर किस रूप में आते हैं? जानें उनका सम्मान कैसे करें और अपमान से क्या हानि होती है? पितृ दोष से मुक्ति और आशीर्वाद पाने के लिए पढ़ें यह लेख।
श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) में हिंदू धर्म के अनुसार, पितर (पूर्वज) पूरे पंद्रह दिन के लिए धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा तर्पण और श्राद्ध ग्रहण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितर अपने परिवार की कुशलता और समृद्धि के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, लेकिन अगर उनका सम्मान नहीं किया गया, तो वे नाराज हो सकते हैं। इस दौरान पितरों का अपमान करना अच्छा नहीं माना जाता है और इससे परिवार को कष्ट का सामना करना पड़ता है। आइए इस लेख में हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक से जानते हैं कि पितर किस रूप में आते हैं और कैसे उनका सम्मान करना चाहिए।
पितर किस रूप में आते हैं-
पक्षियों के रूप में:
ऐसा माना जाता है कि पितर श्राद्ध के दौरान पक्षियों, विशेषकर कौवे, कबूतर या गौरैया के रूप में आते हैं। श्राद्ध के समय पक्षियों को भोजन देना शुभ माना जाता है। यदि कौवा या अन्य पक्षी भोजन ग्रहण करते हैं, तो इसे पितरों का संतुष्ट होना माना जाता है।
मानव रूप में:
कई बार पितर साधु-संत या भिक्षुक के रूप में आते हैं। इसलिए इस दौरान किसी साधु, संत या गरीब को भोजन कराने और दान देने से पितर प्रसन्न होते हैं।
ऐसे में साधुओं या जरूरतमंदों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें तिरस्कार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा हमारे पितर हमारे घर किसी मेहमान के रूप में भी आ सकते हैं, हमें उनका सम्मान करना चाहिए।
इसे भी पढ़ें: खाने में बाल आना शुभ है या अशुभ? जानें क्या कहते हैं शास्त्र
सपनों में आते हैं पितर:
पितर अपने वंशजों के सपनों में आकर संकेत देते हैं। अगर पितर सपने में प्रसन्न दिखें, तो यह शुभ संकेत होता है, लेकिन अगर वे नाराज दिखते हैं, तो यह अपूर्ण श्राद्ध या तर्पण का संकेत हो सकता है। इन संकेतों को समझकर पितरों के लिए विधिपूर्वक श्राद्ध करना चाहिए।
प्राकृतिक घटनाओं के रूप में:
पितरों की उपस्थिति हवा के झोंके, फूलों की महक या कुछ विशेष घटनाओं में महसूस की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पितर अपने वंशजों से मिलने के लिए इन माध्यमों से आते हैं।
जानवर के रूप में
श्राद्ध पक्ष में पितर गाय, कुत्ते के रूप में भी आ सकते हैं। पितृ पक्ष में यदि आपके द्वार पर कोई कुत्ता या जानवर आ जाए तो उसे मारकर भगाना नहीं चाहिए, बल्कि इन्हें रोटी खिलाना चाहिए।
भूलकर भी न करें पितरों का अपमान:
श्राद्ध को टालें नहीं:
पितृ पक्ष में श्राद्ध करना हर व्यक्ति का कर्तव्य होता है। इसे टालने से पितर नाराज हो सकते हैं, जिससे जीवन में अनेक तरह की बाधा और कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।
इसे भी पढ़ें: भगवान शिव को प्रिय हैं ये 5 फूल, जानें इनके महत्व
भोजन और जल का अपमान न करें:
पितरों के लिए तर्पण में जो भोजन और जल अर्पित किया जाता है, उसका अपमान न करें। भोजन या जल को बर्बाद करना अशुभ माना जाता है। भोजन को साफ-सुथरे ढंग से तैयार करें और श्रद्धा के साथ अर्पित करें।
पक्षियों या जानवरों के साथ दुर्व्यवहार न करें:
पितरों के रूप में आए हुए कौवे, कुत्ते या अन्य पशु-पक्षियों के साथ कोई दुर्व्यवहार न करें। उन्हें भोजन देना और उनकी देखभाल करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
वृद्धों और जरूरतमंदों का अपमान न करें:
पितृ पक्ष में वृद्धों, साधुओं, संतों या गरीबों के साथ गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। उनकी सेवा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
नशे और बुरे कर्मों से दूर रहें:
पितृ पक्ष के दौरान शराब या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करने से बचना चाहिए। यह समय पूजा और पवित्रता का होता है, इसलिए नकारात्मक आदतों से बचना चाहिए।
पितरों के नाम पर झूठा श्राद्ध न करें:
पितरों का श्राद्ध सच्चे मन से और शुद्ध भावनाओं से करना चाहिए। केवल दिखावे के लिए श्राद्ध करने से पितर संतुष्ट नहीं होते।
पितरों का सम्मान करने के लाभ: