पर्यटन स्थल के रूप में बदलेगा बिहार का यह इलाका, जंगल में बनेगा इको पार्क

Published : Jul 16, 2025, 07:00 PM IST
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सार

Gopalganj Thave temple के पास स्थित थावे जंगल में जल्द बनेगा इको पार्क। 29 करोड़ की लागत से बनने वाले इस पार्क से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा। वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू, 3 एकड़ जमीन को कराया जाएगा मुक्त।

Thave Eco Park: गोपलगंज जिले में स्थित प्रसिद्ध थावे दुर्गा मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अब पर्यटन की दृष्टि से भी केंद्र में आ गया है। वन और पर्यटन विभाग मिलकर थावे मंदिर से सटे जंगल क्षेत्र में एक भव्य ईको पार्क बनाने की तैयारी में हैं। इस योजना के तहत मंदिर परिसर के जंगल वाले हिस्से को विकसित किया जाएगा, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का अनुभव एक साथ मिल सके।

पहले हटाया जाएगा अतिक्रमण, फिर शुरू होगा निर्माण

हाल ही में की गई जांच में खुलासा हुआ है कि थावे जंगल की लगभग तीन एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। इस भूमि को ईको पार्क के लिए चिह्नित किया गया है। प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और विदेशी टोला पंचायत के करीब 100 लोगों को नोटिस भेजा गया है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि ईको पार्क निर्माण से पहले पूरे जंगल क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा।

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कितना होगा खर्च? किस हिस्से में बनेगा पार्क?

ईको पार्क परियोजना के लिए कुल 29 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। यह पार्क मंदिर परिसर के जंगल वाले हिस्से में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, थावे दुर्गा मंदिर, रहसू मंदिर और आसपास के क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण के लिए करीब 100 करोड़ रुपये की बड़ी योजना पर भी काम चल रहा है। इससे यह पूरा इलाका धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक पर्यटन के लिहाज से एक आदर्श स्थल बन सकेगा।

पर्यावरण और पर्यटन को कैसे होगा लाभ?

ईको पार्क निर्माण से न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही जंगल क्षेत्र को सहेजने और लोगों में पर्यावरण संरक्षण की भावना जागृत करने में भी मदद मिलेगी। इससे थावे जैसे छोटे धार्मिक स्थलों को राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान मिल सकेगा।

अभी ईको पार्क परियोजना शुरुआती चरण में है। अतिक्रमण हटाने के बाद जमीन को वन विभाग के हवाले किया जाएगा, जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू होगा। प्रशासन और वन विभाग की ओर से इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी तरह की देरी न हो। भविष्य में थावे जंगल का यह हिस्सा न केवल गोपलगंज बल्कि पूरे बिहार के लिए पर्यावरणीय पर्यटन का आदर्श उदाहरण बन सकता है।

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