
कोलकाता. लोग अभी कोरोना वायरस के प्रकोप से उबरे भी नहीं है कि बंगाल में एक नया जानलेवा एडिनो वायरस(Adenovirus) मासूमों की जान लेने रहा है। बुधवार(1 मार्च) को कोलकाता के बीसी राय अस्पताल में लगातार दूसरे दिन तीन और बच्चों की मौत के बाद पश्चिम बंगाल में मरने वाले बच्चों की संख्या 28 हो गई है। तीन बच्चों की मौत से एक दिन पहले इसी बीसी राय अस्पताल में तीन और कलकत्ता मेडिकल कालेज अस्पताल में दो बच्चों की मौत हुई थी।
इस वायरस के कारण बच्चों को इन्फेक्शन( respiratory infections) के चलते सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। हालांकि राज्य का हेल्थ डिपार्टमेंट इस बात को लेकर एक मत नहीं है कि ये मौतें संक्रमण के कारण हुई हैं। एडेनोवायरस आमतौर पर बच्चों में श्वसन और आंत्र पथ(espiratory and intestinal tracts) में संक्रमण का कारण बनता है। डॉक्टरों के अनुसार 0-2 साल की उम्र के बच्चों को संक्रमण के लिए सबसे कमजोर माना जाता है। वहीं, 2-5 साल की उम्र और 5-10 साल के बच्चों को संक्रमित होने की संभावना होती है।
डॉक्टर कहते हैं कि 10 साल से ऊपर के बच्चे वायरस के प्रति कम संवेदनशील होते हैं। इन्हें सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टर कहते हैं कि इसका इलाज संभव है, इसलिए समय पर डॉक्टर से संपर्क करें। वैसे इसका इलाज घर पर भी संभव है।
पिछले दो दिनों में हुई मौतों को लेकर डॉक्टरों में से एक ने कहा कि पांच बच्चों में से दो का कोलकाता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज चल रहा था, जबकि तीन अन्य का इलाज डॉ बी सी रॉय पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ पीडियाट्रिक साइंसेज में चल रहा था। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा,''सभी पांच बच्चों की मौत निमोनिया के कारण हुईं।"
एक हेल्थ आफिसर ने मंगलवार(28 फरवरी) को बताया था कि श्वसन संक्रमण के कारण कोलकाता के सरकारी अस्पतालों में दो शिशुओं की मौत हो गई थी। पड़ोसी हुगली जिले के चंद्रनगर के नौ महीने के बच्चे की कोलकाता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मौत हो गई, जबकि एक अन्य बच्चे की मौत डॉ बी सी रॉय पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ पीडियाट्रिक साइंसेज में हुई।
अधिकारी ने कहा कि दोनों मौतों की सूचना 27 फरवरी को दी गई थी और कहा कि मामले अन्य जिलों के अस्पतालों से रेफर किए गए थे।
पश्चिम बंगाल में फैलते एडिनोवायरस से हो रहीं मौतों के मद्देनजर राज्य के हेल्थ सेक्रेट्री नारायण स्वरूप निगम ने 1 मार्च को को बीसी राय अस्पताल का दौरा किया। शिकायतों के बीच उन्होंने इस अस्पताल में और 72 बेड बढ़ाने का निर्देश दिया है। इसी के साथ बेलियाघाटा आइडी अस्पताल में भी और 50 बेड की व्यवस्था की गई है।
एडेनोवायरस सबसे अधिक सांस की बीमारी का कारण बनता है। यानी आम सर्दी से लेकर निमोनिया, क्रुप और ब्रोंकाइटिस तक की बीमारी हो सकती है। वैसे अधिकांश बच्चे कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभार यह घातक साबित होता है। इससे गुलाबी आंख या निमोनिया जैसे कुछ संक्रमण लंबे समय तक रह सकते हैं। याद रहे एंटीबायोटिक्स एडेनोवायरस संक्रमण का इलाज नहीं करेंगे, क्योंकि एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया को मारते हैं।
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