वह जगह जहां एक करोड़ लोग मानेंगे नया साल, न पब ना ही डिस्को, एंट्री एकदम फ्री

राजस्थान में नए साल पर पब या डिस्को नहीं, बल्कि 5 प्रसिद्ध मंदिरों में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। सालासर बालाजी, त्रिनेत्र गणेश, खाटूश्याम, सांवरिया सेठ और मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आएंगे।

जयपुर. नए साल को आने में अब 5 दिन का समय बाकी है। नए साल पर शहरों में कई पार्टियों का आयोजन होगा। राजस्थान में भी कई लोग न्यू ईयर को सेलिब्रेट करने के लिए आएंगे। यहां पुष्कर, जैसलमेर सहित कई जगहों पर लोग घूमने के लिए आएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान में पांच जगह ऐसी भी है जहां कोई भी पार्टी का आयोजन नहीं होगा। और ना ही यहां पर कोई क्लब या डिस्को है लेकिन फिर भी करोड़ों लोग यहां आएंगे। यह जगह है राजस्थान के पांच प्रसिद्ध मंदिर....

1. सालासर बालाजी का मंदिर

 सालासर बालाजी का मंदिर जो पूरे देश भर में मशहूर है। साल 1754 में नागपुर के आसोटा गांव में एक किसान अपना खेत जोत रहा था। उस वक्त उसे एक पत्थर मिला। जिस पर बालाजी का स्वरूप बना हुआ था। इसके बाद उसे मूर्ति को सालासर लाया गया और फिर सालासर में उसकी स्थापना कर दी गई। हर साल यहां 25 लाख नारियल चढ़ाए जाते हैं।

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2.त्रिनेत्र गणेश मंदिर

 त्रिनेत्र गणेश मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर दुर्ग पर स्थित है। मंदिर का इतिहास 1299 से जुड़ा है। राजा हमीर और अलाउद्दीन खिलजी के बीच युद्ध चल रहा था। हमीर भगवान गणेश के बड़े भक्त थे। उस वक्त किले की दीवार पर उन्हें भगवान की कलाकृति दिखाई दी। फिर इस मंदिर की स्थापना करवाई गई। मान्यता है कि भगवान की भक्ति के बाद युद्ध भी अपने आप ही रुक गया।

3. तीसरा नंबर सीकर जिले में स्थित खाटूश्याम

खाटूश्याम मंदिर जो भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक है। इन्हीं की पूजा खाटूश्याम के रूप में की जाती है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांगा था। फिर बर्बरीक ने तलवार से अपना सिर काटकर उनके कदमों में रख दिया। तभी बर्बरीक को आशीर्वाद मिला कि तुम्हें भविष्य में खाटूश्याम के नाम से पूजा जाएगा। इसके बाद यह शीश नदी के रास्ते सीकर के खाटू तक पहुंचा। फिर यहां मंदिर की स्थापना हो गई। सालाना यह 50 लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते हैं।

4. सांवरिया सेठ का मंदिर

चित्तौड़गढ़ में स्थित सांवरिया सेठ का मंदिर जिसे सेठों का सेठ अभी कहा जाता है। इस मंदिर में भी नए साल पर लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। साल 1840 के करीब इस मंदिर की स्थापना हुई। जब भोलाराम गुर्जर नाम के एक ग्वाले को नजदीक के एक गांव में तीन मूर्तियां के दबने का सपना आया। फिर खुदाई करवाई गई तो उनमें से मूर्तियां निकली। एक मूर्ति को मंडफिया ले जाया गया। जबकि अन्य दो मूर्ति को नजदीक के ही दो गांव में। मंडफिया की मूर्ति को ही सांवरिया सेठ कहा जाता है।

5. मोती डूंगरी गणेश मंदिर

अगला नंबर है जयपुर में स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर का। जयपुर में जब भी कोई नए काम की शुरुआत करता है या नए वाहन की खरीद करता है तो सबसे पहले यही आता है। साल 1761 में इस मंदिर की स्थापना सेठ जयराम पल्लीवाल के द्वारा करवाई गई थी। चार महीने में मंदिर बनकर तैयार हुआ था। जयपुर में नए साल पर भी लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते है।

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