कवच 4.0: ट्रेन सुरक्षा के लिए नया हाईटेक सिस्टम, जानें इसके फायदे!

Published : Sep 24, 2024, 02:08 PM ISTUpdated : Sep 24, 2024, 05:39 PM IST
Railway Minister Ashwini Vaishnav will test Kavach 4.0

सार

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 24 सितंबर को राजस्थान में कवच 4.0 की टेस्टिंग करेंगे। यह हाईटेक सिस्टम ट्रेनों को भिड़ंत से रोकने में मदद करता है। जानें इस हाईटेक सिस्टम के लाभ और कार्यप्रणाली।

माधोपुर। राजस्थान के मूल निवासी और केंद्र में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव आज 24 सितंबर को राजस्थान आ रहे हैं। वह आज कवच 4.0 की टेस्टिंग करने वाले हैं। इसके लिए मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद सवाई माधोपुर से लेकर सुमेरगंज मंडी तक ट्रेन के लोको सेक्शन में बैठकर सफर का ट्रायल करेंगे। इसके बाद मंत्री का दिल्ली रवाना होने का कार्यक्रम है।

क्या है कवच 4.0 सिस्टम?

आपको बता दें कि रेलवे में कवच सिस्टम दो ट्रेनों को आमने-सामने आने पर भिड़ंत होने से ऑटोमेटिक रोकने का काम करता है। इसके साथ ही यह सिस्टम ट्रेन की स्पीड पर भी नजर बनाए रखना है। फिलहाल राजस्थान में कोटा से सवाई माधोपुर के बीच 108 किलोमीटर का ट्रैक अब इस सिस्टम से लैस हो चुका है।

कहां-कहां लगाया जाएगा कवच सिस्टम?

कवच सिस्टम को ट्रेन के इंजन के अलावा रेलवे के रूट पर भी लगाया जाता है। सिग्नल पासिंग और डेंजर स्थिति को भी यह रोकने में काफी कारगर साबित होता है। साथ ही ट्रेनों के बीच होने वाली भिड़ंत को रोकता है। यह सिस्टम इतना हाईटेक है कि यदि दो ट्रेन आमने-सामने से आ रही है तो 3 किमी. पहले ही वह दोनों ट्रेनों को अपने आप ही रोक देता है। साथ ही लोको पायलट को सिग्नल प्रदान करता है, जिससे कि घने कोहरे के बीच ट्रेन का संचालन हो सके।

कैसे काम करेगा कवच 4.0?

यदि ट्रेन की रफ्तार 130 किमी. प्रति घंटा से ज्यादा होती है तो अलार्म अपने आप बजने लगता है। वही यदि ट्रेन की रफ्तार 130 किमी. से 5 किमी. प्रति घंटा ज्यादा है तो ट्रेन की रफ्तार पर यह कवच अपने आप ही काम करने लगेगा। यदि इससे 2 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी ज्यादा ट्रेन और चली तो उसमें अपने आप ब्रेक लगेंगे और यदि फिक्स 130 किमी. के अतिरिक्त 9 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा ट्रेन चलती है तो इमरजेंसी ब्रेक अपने आप लग जाएंगे।

कब तक कोई रिस्पांस नहीं करेगा कवच 4.0 सिस्टम?

यह सिस्टम केवल ट्रैक और ट्रेन नहीं बल्कि ड्राइवर की भी पूरी तरह से मॉनिटरिंग करता है। जब तक कोई लोको पायलट की टीम आदर्श ड्राइविंग प्रोफाइल के अनुरूप ट्रेन संचालन करती है तो यह सिस्टम कुछ भी नहीं करता। परंतु जैसे ही लोको पायलट टीम से कोई गलती होती है, तो यह सिस्टम अपनी सीमाओं से बाहर हो जाता है और ट्रेन को ऑटोमेटिक ब्रेक से सुरक्षित दूरी पर रोक लेता है।

 

 

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