सार
झालावाड़. आपने राज्यों के सीमा बंटवारे के कई रोचक मामले सुने होंगे। कभी ऐसा सुना है कि ट्रेन का सफर एक राज्य से करना हो और उसका टिकट दूसरे स्टेट से लेना पड़ता हो। लेकिन ऐसा होता है, जहां राजस्थान में ट्रेन पकड़नी है पड़ती और उसका टिकट मध्य प्रदेश से लेना होता है। सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह हकीकत है।
जानिए कहां होता है ऐसा…
राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित भवानीमंडी पर कुछ ऐसा ही होता है। जहां राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा लगती है।यहां प्लेटफार्म नंबर दो पर दोनों राज्यों की सीमा के बीच में एक बोर्ड लगा है। जहां एक तरफ राजस्थान तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश लिखा हुआ है।यहां ट्रेन तो राजस्थान रह जाती है लेकिन मध्य प्रदेश की तरफ टिकट काउंटर है। जिसे देखकर हर कोई आश्चर्य में रह जाता है।
आखिर क्यों होता है ऐसा…
इतना ही नहीं यहां खड़े होने वाली ट्रेन का इंजन का मध्य प्रदेश में रहता है तो गार्ड का डिब्बा राजस्थान की तरफ। मध्य प्रदेश का मंदसौर जिले का भैंसोदामडी गांव राजस्थान में इस स्टेशन के जस्ट नजदीक है।
ब्रिटिश काल सन 1890 में बना था यह रेलवे स्टेशन
इस स्टेशन का निर्माण ब्रिटिश काल में सन 1890 में हुआ था। जिसका उद्देश्य राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच यातायात और व्यापार को बढ़ावा देना है। वर्तमान में यहां दो प्लेटफार्म है।
महाराष्ट्र.-गुजरात की बॉर्डर पर अलग ही काहनी
राजस्थान और एमपी की तरह ही देश में एक और रेलवे स्टेशन है जो दो राज्यों की सीमा को शेयर करता है। यह नवापुर रेलवे स्टेशन है, जो कि महाराष्ट्र.-गुजरात की बॉर्डर को बराबर शेयर करता है। यहां थमने वाली हर ट्रेन दो राज्यों की सीमा में एक साथ खड़ी होती है। ट्रेन पर चढ़ने वाले पैसेंजर कूद के महाराष्ट्र तो कभी गुजरात की सीमा में आ जाते हैं। सबसे बड़ी परेशानी मोबाइल फोन के नेटवर्क को लेकर रहती है। ये रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के नंदुरबर जिले में गुजरात बॉर्डर पर स्थित है। ये स्टेशन सूरत और धुले से 100 किलोमीटर की दूरी पर है। रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म पर ही दोनों राज्यों की सीमा के बोर्ड भी लगे हैं।