राजस्थान में बाड़मेर जिले का रहने वाले एक मजदूर के बेटे ने सरकारी नौकरी के लिए इतना कठिन संघर्ष किया है जो हर किसी को रूला देगा। वह रोजाना 10 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर स्कूल गया और झोपड़ी में रहकर पढ़ाई करता था।
बाड़मेर (राजस्थान). हमने कई फिल्मों में ऐसे डायलॉग जरुर सुने होंगे कि कोई अपने संघर्ष की बात करते हुए बताता है कि जब वह स्कूल जाता था तो न जाने कितने किलोमीटर का सफर तय करता और कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता लेकिन राजस्थान में एक ऐसा ही किस्सा है जो कोई फिल्म सीन का नहीं बल्कि हकीकत है। यहां के बाड़मेर के रहने वाले एक मजदूर के बेटे सरकारी नौकरी लगी है जिसके बाद अब चारों तरफ उसके संघर्ष की चर्चा हो रही है।
शिक्षक दिवस पर मजदूर का बेटा भी बना टीचर
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी नगर गांव के नरसिगाराम की। हाल ही में राजस्थान में बीते दिनों आयोजित हुई ग्रेड थर्ड टीचर भर्ती का रिजल्ट जारी हुआ है उसमें नरसिगाराम का सिलेक्शन हुआ है। आपको बता दे कि इनके पिता गोरखाराम मजदूरी का काम करते हैं। वही अपने गांव में नौकरी लगने वाले यह पहले युवक हैं इसके पहले गांव में कोई भी सरकारी नौकरी नहीं लगा है।
रोजाना 8 से 10 घंटे पढ़ाई करता और 10 किलोमीटर दूर पैदल जाता स्कूल
नरसिगाराम का दूसरी बार में नौकरी के लिए चयन हुआ है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण परिवार नरसिगाराम को मजदूरी करके पढ़ रहा था ऐसे में वह कोचिंग नहीं कर पाया लेकिन इसके बाद भी उसने सोच लिया कि चाहे कुछ भी हो करनी तो सरकारी नौकरी ही है। अपने स्कूल लाइफ के दौरान रोजाना वह 8 से 10 घंटे पढ़ाई करता और स्कूल आने-जाने के लिए उसे रोज करीब 10 से 12 किलोमीटर का सफर तय करना होता। अब नरसिगाराम का कहना है कि वह अपने माता-पिता के सारे सपने पूरे कर देगा और उनके जैसे संघर्षशील बच्चों के लिए भी कुछ न कुछ करेगा।
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