
प्रयागराज: बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में मुख्य गवाह उमेश पाल शुरुआत से ही माफिया अतीक अहमद के निशाने पर था। 2006 में भी अतीक ने गन प्वाइंट पर उमेश का अपहरण कर लिया था। इसको लेकर 2006 में ही उमेश ने अतीक और अशरफ के खिलाफ किडनैपिंग की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी। इसके बाद केस में पैरवी को लेकर 27 अक्टूबर 2016 को भी उमेश पाल पर जानलेवा हमला हुआ था। 2018 में देवरिया जेल से अतीक ने उमेश से फोन पर यह तक कह दिया था कि, 'मुझे सजा करवाना चाहता है, जिस दिन मरवाऊंगा 15 दिन तक नेशनल टीवी पर खबरें चलेंगी।'
कोर्ट से नीचे फेंकने की थी प्लानिंग
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार 2016 में 27 अख्टूबर को अतीक और अशरफ ने प्लानिंग की थी कि उमेश पाल को कोर्ट की तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया जाए। हालांकि बाद में मौका मिलने पर कोर्ट परिसर में ही शूटरों से उमेश पाल पर हमला करवा दिया था। उस दौरान पुलिस ने आगे आकर उमेश की जान बचा ली थी। बताया जाता है कि 2016 में उमेश पाल पर हुए जानलेवा हमले की रिपोर्ट उस समय की सपा सरकार में अतीक के रसूख के चलते नहीं लिखी गई थी। बाद में कोर्ट के आदेश पर थाना धूमनगंज में 10 जून 2017 को रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
उमेश पाल ने लगाई थी मदद की गुहार
उमेश ने अपने बयान में कहा था कि, 'मैं इलाहाबाद का निवासी हूं और राजू पाल हत्याकांड का चश्मदीद साक्षी हूं। 2005 में हुए घटित राजू पाल हत्याकांड में पूर्व सांसद अतीक अहमद ने अपने पक्ष में बयान दिलवाने के लिए गुर्गों के साथ 28 फरवरी 2006 को मेरा अपहरण कर लिया था। उसके बाद जान से मारने की धमकी देते हुए अपने पक्ष में 1 मार्च 2006 को बयान भी करवाया था। अतीक गैंग से मुझे खतरा है।' इस मामले में उमेश ने प्रदेश के डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों से रिपोर्ट लिखने की गुहार लगाई थी।
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