
जब दिल्ली-एनसीआर की हवा धुंध की मोटी चादर में कैद हो जाए, सड़कें कोहरे की सफ़ेद धुंध में गुम हो जाएं और सांस लेना तक मुश्किल हो जाए, तब सरकारें मजबूर होकर कदम उठाती हैं। ठीक यही तस्वीर इस समय एनसीआर और उससे सटे यूपी के जिलों में दिखाई दे रही है। बढ़ते प्रदूषण और बेहद खराब एयर क्वालिटी के बीच योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए नोएडा और गाजियाबाद में डीजल ऑटो रिक्शों पर पूरी तरह रोक लगा दी है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक स्थिति में बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार घना कोहरा हवा में मौजूद प्रदूषकों को जमीन के करीब रोक देता है, जिससे AQI तेजी से बिगड़ रहा है। इसी वजह से डीज़ल ऑटो को सबसे पहले निशाने पर लिया गया है।सरकारी जानकारी के अनुसार 31 दिसंबर तक चरणबद्ध तरीके से इन जिलों में डीजल ऑटो पर पाबंदी लागू कर दी गई है:
इसी के साथ मेरठ में प्रतिबंधित वाहनों के नए परमिट और परमिट नवीनीकरण पर तुरंत रोक लगा दी गई है।
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एनसीआर के यूपी हिस्से में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन और परिवहन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से यह कदम उठाया गया है। अधिकारियों के अनुसार सड़क पर उड़ने वाली धूल को एयर पॉल्यूशन का सबसे बड़ा कारण माना गया है। इसी वजह से एक विस्तृत कार्य योजना लागू की गई है, जिसके मुख्य बिंदु हैं:
सरकारी बयान के मुताबिक पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव को इस पूरी कार्य योजना का मुख्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने सड़कों पर धूल को कम करने के लिए एंटी-स्मॉग गन की तैनाती बढ़ा दी है। हाई-ट्रैफिक क्षेत्रों में पानी का छिड़काव, यांत्रिक सफाई और निर्माण स्थलों की निगरानी भी तेज कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए यह सख्त कदम आवश्यक हो गए थे।
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