रिपोर्ट : 5 साल बाद 50 फीसदी भारतीय करेंगे जियो का इस्तेमाल, मुकेश अंबानी ला सकते हैं IPO

रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख और एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी रिलायंस जियो के जरिए डिजिटल की दुनिया में शीर्ष पर पहुंचने वाले हैं। एक रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। मुकेश अंबानी जल्द ही रिलायंस जियो के लिए इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) ला सकते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jun 18, 2020 12:49 PM IST

टेक डेस्क। रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख और एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी रिलायंस जियो के जरिए डिजिटल की दुनिया में शीर्ष पर पहुंचने वाले हैं। एक रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। मुकेश अंबानी जल्द ही रिलायंस जियो के लिए इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) ला सकते हैं। अमेरिका के रिसर्च ऑर्गनाइजेशन बर्न्सटेन रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिस रफ्तार से जियो में इन्वेस्टमेंट बढ़ता जा रहा है, उसे देखते हुए 5 साल बाद यानी 2015 तक भारत के 50 फीसदी लोग जियो की सेवाओं का इस्तेमाल करेंगे। 

बताया था अंबानी को टेलिकॉम इंडस्ट्री का बादशाह
बर्न्सटेन रिसर्च ने पिछले वर्ष दिसंबर में मुकेश अंबानी को भारत की टेलिकॉम इंडस्ट्री का नया बादशाह बतया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी कंपनियां भी जियो में बड़ी संभावना देख रही हैं। विदेशी कंपनियों में सबसे पहले फेसबुक ने जियो में 43,573,62 करोड़ रुपए का निवेश करके 9.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी। इसके बाद जियो में निवेश के लिए विदेशी कंपनियों में होड़ लग गई। 8 निजी इक्विटी निवेशकों ने जियो में 60,753,33 करोड़ रुपए का निवेश किया। 8 हफ्ते के भीतर जियो में 1.04 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। 

जल्द आ सकता है आईपीओ
बर्न्सटेन रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगले कुछ साल में मुकेश अंबानी जियो के लिए आईपीओ ला सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ और दिग्गज कंपनियां जियो में निवेश कर सकती हैं। इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज कर्जमुक्त कंपनी बन जाएगी।

50 करोड़ तक हो सकते हैं कस्टमर
बर्न्सटेन की रिपोर्ट में यह अनुमान जाहिर किया गया है कि वित्त वर्ष 202-23 तक जियो के 50 करोड़ से ज्यादा मोबाइल सब्सक्राइबर हो सकते हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में इनकी संख्या 38.8 करोड़ थी। वित्त वर्ष 2024-25 तक जियो के सब्सक्राइबर 56.9 करोड़ हो जाने की संभावना जताई गई है। कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में जियो की बाजार में हिस्सेदारी बढ़ कर 40 फीसदी हो सकती है, वहीं 2014-25 तक इसके 48 फीसदी हो जाने की उम्मीद है।  

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