जानिए कितने साल से सज रहा है लाल बाग के राजा का दरबार, बड़ी-बड़ी हस्तियां पहुंचती हैं दर्शन करने

 Ganesh Chaturthi 2022: लालबाग में भगवान गणेश की प्रतिमा बीते 88 साल से स्थापित हो रही है। पेरु चॉल बंद होने से परेशान छोटे दुकानदारों ने बाजार बनाने के लिए बप्पा की मिन्नत शुरू हुई, जो दो साल में ही पूरी हो गई। 

Asianet News Hindi | / Updated: Aug 25 2022, 06:43 AM IST

मुंबई।  Ganesh Chaturthi 2022: गणेश जी की बात हो और लाल बाग के राजा की चर्चा नहीं हो, ये कैसे हो सकता है। गणेश उत्सव पर यहां भक्तों की लंबी कतार लगती है। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि लालबाग के राजा को नवसाचा गणपति भी कहते हैं। लालबाग में हर साल भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है और यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन-पूजन को आते हैं। 

दरअसल, लालबाग में गणेश की जी प्रतिमा बीते 88 साल से स्थापित हो रही है। सार्वजनिक गणेश मंडल संस्था वर्ष 1934 से यहां गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करती आ रही है। समय के साथ बप्पा की सजावट भले ही बदलती रही है, मगर भीड़ की संख्या साल दर साल बढ़ती ही गई है। लोगों में गणेश जी के प्रति आस्था और श्रद्धा बढ़ती गई है और जोश, जुनून तथा आकर्षण वही 88 साल पुराना वाला है। 

पेरु चॉल बंद हो गई, तो दुकानदारों की आमदनी भी खत्म हो गई 
कहा जाता है कि वर्ष 1934 में मुंबई में दादर और परेल के नजदीक यह लालबाग क्षेत्र उद्योग-कारखानों से भरा था। यहां फैक्ट्री के मजदूर, छोटे-मोटे दुकानदार, रेहड़ी-खोमचे वाले और मछुआरे रहते थे। 1932 तक यहां पेरु चॉल थी, जिससे दुकानों की ठीक-ठाक आमदनी हो जाती थी। बाद में यह चॉल हटा ली गई, तो आमदनी भी बंद हो गई। इसके बाद कुछ दुकानदारों के सामान बिकते, मगर इस आमदनी से परिवार चलाना मुश्किल साबित हो रहा था। 

पूजा के लिए दूर-दूर से लोग आने लगे और बाजार के लिए चंदा देने लगे 
इनमें से कुछ लोगों ने भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना शुरू की, जिससे आर्थिक स्थिति सुधरे। बहुत से लोगों के रोजगार चल निकले, जिसके बाद लोगों का विश्वास यहां बढ़ता गया और दूर-दूर से लोग यहां आते रहे। इसके बाद कुछ धनवान लोग यहां आकर बाजार बनाने के लिए चंदा भी देने लगे और फिर भगवान के आशीर्वाद से यहां दो साल के भीतर बाजार बन गया। इसकी चर्चा देश-विदेश तक हुई और लोग दूर-दूर से यहां आने लगे। इसके बाद गणेश उत्सव पर 12 सितंबर 1934 को गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई। दिलचस्प यह है कि बप्पा की मूर्ति बीते 8 दशक से एक ही परिवार बनाता आ रहा है और वह है कांबली परिवार। इस परिवार में यह हुनर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आया और आगे भी बढ़ाने का सिलसिला जारी है। 

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