Bhadrapada Amavasya 2022: इस बार 2 दिन रहेगी अमावस्या, पितृ दोष से मुक्ति के लिए ये उपाय करें

Published : Aug 24, 2022, 01:21 PM IST
Bhadrapada Amavasya 2022: इस बार 2 दिन रहेगी अमावस्या, पितृ दोष से मुक्ति के लिए ये उपाय करें

सार

Bhadrapada Amavasya 2022: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। इस तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस तिथि के स्वामी पितृदेवता हैं। यही कारण है इस दिन पितृ कर्म जैसे श्राद्ध, तर्पण आदि विशेष रूप से किए जाते हैं।  

उज्जैन. प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है। इस तरह एक साल में 12 अमावस्या होती है। इन सभी का अलग-अलग नाम और महत्व माना जाता है। इसी क्रम में भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या (Kushgrahani Amavasya 2022) कहा जाता है। इस बार 1 नहीं बल्कि 2 दिन भाद्रपद अमावस्या का संयोग बन रहा है। ये संयोग 26 और 27 अगस्त को बन रहा है। आगे जानिए इन दोनों दिनों से जुड़ी खास बातें…

कब से कब तक रहेगी अमावस्या तिथि? (Bhadrapada Amavasya 2022)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 26 अगस्त, शुक्रवार को दोपहर 01:47 से शुरू होगी, जो 27 अगस्त, शनिवार की दोपहर 02:45 तक रहेगी। ज्योतिषियों के अनुसार, 26 अगस्त को श्राद्ध अमावस्या रहेगी। इस दिन पितृ कर्म जैसे श्राद्ध, तर्पण आदि करना शुभ रहेगा। दूसरे दिन यानी 27 अगस्त, शनिवार को अमावस्या तिथि में सूर्योदय होगा, इसलिए इस दिन शनि अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

शुक्रवार और अमावस्या का योग खास
ज्योतिषियों के अनुसार, शुक्रवार को अमावस्या तिथि का संयोग बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन देवी काली की पूजा का भी विधान है। इन दोनों देवियों की पूजा से धन लाभ तो होता ही है साथ ही दुश्मनों पर भी जीत मिलती है। इस दिन दान भी जरूर करना चाहिए। 

पितृ दोष की शांति के लिए ये उपाय करें…
अमावस्या तिथि पर एक उपला यानी कंडा जलाएं और इस पर घी-गुड़ और घर में बने भोजन से धूप दें। यानी अपने हाथों से थोड़ा-थोड़ा घी-गुड़ और भोजन उपले पर डालें। कम से कम 5 बार ये काम करें। साथ ही ये मंत्र भी बोलें-
ऊँ पितृभ्य स्वधायीभ्य स्वधा नम: पितामयभ्य: स्वधायीभ्य स्वधा नम: प्रपितामयभ्य स्वधायीभ्य स्वधा नम:
इसके बाद लोटे से हथेली में पानी लें और अपने अंगूठे के माध्यम से जमीन पर छोड़ दें। उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं।


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