आज करें रंभा तीज व्रत, इससे बढ़ती है पति की उम्र और घर में बनी रहती है सुख-शांति

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज का व्रत किया जाता है। इस साल ये व्रत 25 मई, सोमवार को है। 

Asianet News Hindi | Published : May 24, 2020 6:31 PM IST

उज्जैन. महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सौभाग्य और संतान सुख की इच्छा से ये व्रत करती हैं। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती के साथ लक्ष्मीजी की पूजा भी की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार अप्सरा रंभा ने इस व्रत को किया था। इसलिए इसे रंभा तीज कहा जाता है।

रम्भा तृतीया व्रत का विधान
- सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं। इसके बाद पूर्व दिशा में मुंहकर के पूजा के लिए बैठें। भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- उनके आसपास पूजा में पांच दीपक लगाएं। इसके बाद पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर इन 5 दीपक की पूजा करें।
- इनके बाद भगवान शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए। पूजा में देवी गौरी यानी पार्वती को कुमकुम, चंदन, हल्दी, मेहंदी, लाल फूल, अक्षत और अन्य पूजा की सामग्री चढ़ाएं।
- भगवान शिव गणेश और अग्निदेव को अबीर, गुलाल, चंदन और अन्य सामग्री चढ़ाएं।

व्रत का महत्व
रंभा तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य मिलता है। पति की उम्र बढ़ती है। संतान सुख मिलता है। इस दिन व्रत रखने और दान करने से मनोकामना पूरी होती है। रंभा तीज करने वाली महिलाएं निरोगी रहती हैं। उनकी उम्र और सुंदरता दोनों बढ़ती हैं। जिस घर में ये व्रत किया जाता है। वहां समृद्धि और शांति रहती है।

समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी रंभा
पुराणों में रंभा के बारे में बताया गया है कि वो समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी। इसके बाद इंद्र ने रंभा को अपनी राजसभा में स्थान दिया। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार रंभा ने विश्वामित्र की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी। जिससे गुस्से में आकर विश्वामित्र ने उसे कई सालों तक पत्थर की मूर्ति बनी रहने का श्राप दे दिया। इसके बाद रंभा ने भगवान शिव-पार्वती की पूजा से सामान्य शरीर पाया।

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