28 जुलाई को है यह व्रत, कैसे करें पूजा और जानें क्या है इसका महत्व ?

धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करता है, उससे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सभी की पूजा हो जाती है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 26, 2019 3:10 PM IST / Updated: Jul 27 2019, 01:47 PM IST

उज्जैन. श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करता है, उससे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सभी की पूजा हो जाती है। इस बार कामिका एकादशी 28 जुलाई, रविवार को है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-

व्रत विधि
- कामिका एकादशी में साफ-सफाई का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान आदि काम निपटा कर सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। 
- इसके बाद विष्णु प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल है। इसके बाद पुन: पानी से स्नान कराएं।
- भगवान को गंध (अबीर, गुलाल, इत्र आदि सुगंधित वस्तु), चावल, जौ तथा फूल अर्पित करें। धूप, दीप से आरती उतारें। 
- भगवान विष्णु को मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं, साथ में तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं और अंत में क्षमा याचना करते हुए भगवान को नमस्कार करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें।

इस व्रत में क्या खाएं?
कामिका एकादशी व्रत में चावल व चावल से बनी कोई भी चीज न खाएं। इस दिन बिना नमक का फलाहार करें। फलाहार भी केवल दो समय ही करें। फलाहार में तुलसी दल का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए। पीने के पानी में भी तुलसी दल का प्रयोग करना उचित होता है।

कामिक एकादशी का महत्व इस प्रकार है-
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कामिका एकादशी व्रत का महत्व स्वयं भगवान ब्रह्मा ने नारदजी को बताया था। उसके अनुसार, कामिका एकादशी के व्रत से जीव मनुष्य योनि को ही प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहता है। जो मनुष्य इस एकादशी की रात को भगवान विष्णु के मंदिर में घी या तेल का दीपक जलाता है, उसके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्य को अवश्य करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का महात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।

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